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232 कंस वध
इसी समय और भी अनेक लोग यमुना में स्नान करने आये थे । कृष्ण का यह अद्भुत कार्य देखकर वे सब चकित हो गये । ज्योंही कृष्ण जल से बाहर निकले, त्योंही उन्होंने चारों ओर से उनको घेर लिया। सब लोग कृष्ण पर मुग्ध हो रहे थे और मुक्तकण्ठ से उनकी प्रशंसा कर रहे थे। वहां स्नान करने वाले ब्राह्मणादि ने कालिय नाग दमन की बात चारों फैदा दी। कृष्ण ने शीघ्र ही अपने गोपबन्धुओं के साथ वहां से मथुरा के लिए प्रस्थान किया ।
यथासमय दोनों भाई मथुरा जा पहुँचे। वहां पर नगर के मुख्य द्वार पर पद्मोत्तर और चम्पक नामक दो मदोन्मत्त हाथी कंस ने खड़े करवा दिये थे । महावतों का संकेत पाते ही वे बलराम और कृष्ण की ओर झपट पड़े। कृष्ण ने पद्मोत्तर का सामना किया और बलराम ने चम्पक का, दोनों ने दोनों के दांत उखाड़ डाले और मुष्टि प्रहार द्वारा उनकी जीवन लीला वहीं समाप्त कर दी। लोग उनका यह पराक्रम देखकर चकित हो गये । उन्हें जब यह मालूम हुआ कि यही नन्द के दोनों पुत्र हैं और इन्होंने ही अरिष्टादि का संहार किया है, तब उन्हें और भी आश्चर्य हुआ और वे उनकी ओर संकेत कर करके आपस में फुसी करने लगे।
इसी प्रकार लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हुए राम और कृष्ण गोपमण्डली के साथ कंस के उस अखाड़े में जा पहुँचे, जहां मल्लयुद्ध का आयोजन हो रहा था। वहां उन दोनों को बैठने की कोई जगह न दिखायी दी, इसलिये उन्होंने एक सुशोभित मञ्च के लोगों को ढकेल कर उस पर अधिकार जमा लिया। इसके बाद बलराम ने संकेत द्वारा कृष्ण को कंस का परिचय दिया, जो एक ऊंचे मंच पर बैठा हुआ था। कंस के पीछे वसुदेव और समुद्रविजय आदि बैठे हुए थे । बलराम ने कृष्ण को क्रमश: उनका भी परिचय दिया। इन देवकुमार सदृश दोनों बालकों की ओर शीघ्र ही सभा के समस्त लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ और वे भी आंखें फाड़कर उन दोनों को देखने लगे।
शीघ्र ही मल्लयुद्ध प्रारंभ हुआ। अखाड़े में छोटे मोटे पहलवानों के कई जोड़े उतरे और उन्होंने अपना कौशल दिखाकर दर्शकों का मनोरञ्जन किया । इसके बाद कंस के आदेश से चाणूर मल्ल खड़ा हुआ और मेघ गर्जना की भांति ताल ठोंक कर अखाड़े में चारों ओर चक्कर काटने लगा। उसे अपने जोड़ का