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________________ 230 * कंस-वध कृष्ण इसे देखने के लिए लालायित हो उठे। उन्होंने बलराम से कहा"भाई! मुझे यह उत्सव देखने की बड़ी इच्छा है। तुम कहो तो हम लोग आज मथुरा चलें और इस उत्सव को देख आयें! कृष्ण के इस प्रस्ताव से, राम सहमत हो गये। दोनों जन शीघ्रतापूर्वक घर आये और मथुरा जाने की तैयारी करने लगे। कृष्ण की इच्छा थी, कि स्नानादिक से निवृत्त होकर मथुरा के लिए प्रस्थान किया जाय, इसलिए उन्होंने यशोदा से स्नान की तैयारी कर देने को कहा। परन्तु यशोदा दूसरे काम में लगी हुई थी, इसलिए कृष्ण की बात पर वे ध्यान न दे सकी। इधर राम की बहुत दिनों से इच्छा थी कि कृष्ण को उनके बन्धुओं के वध का समाचार बतलाकर यशोदा का प्रकृत परिचय दे दिया जाय। उन्होंने इस अवसर.से लाभ उठाकर हँसते हुए यशोदा से कहा-“मालूम होता है कि तुम अपने . पिछले दिन भूल गयी हो, इसीलिए हमारी बातों पर अब ध्यान नहीं देती हो।" इतना कह राम ने कृष्ण से कहा-"चलो, यशोदा मैया को आज फुसरत नहीं है। हम लोग यमुना में स्नान कर लेंगे।" __ भाई की वह बात सुनकर कृष्ण उनके साथ चल तो दिये, किन्तु उन्होंने यशोदा को जो शब्द कहे थे, वह उन्हें अच्छे न लगे। इससे उनका चेहरा कुछ उतर गया। यमुना के तटपर पहुंचने पर बलराम ने कृष्ण से पूछा- “भाई ! अभी तक तो तुम बहुत प्रसन्न थे। अब उदास क्यों दिखाई देते हो?" . ___ कृष्ण ने गद्गद् स्वर से कहा-“माता यशोदा को मैं बड़े आदर की दृष्टि से देखता हूँ। तुम भी अब तक ऐसा ही करते थे, किन्तु आज तुमने उनसे कठोर वचन कहकर अच्छा नहीं किया।" ____बलराम ने कहा- "भाई कृष्ण! मैंने यशोदा से जो कुछ कहा था, वह हंसी में कहा था, उनका दिल दुखाने के लिए नहीं। मेरा विश्वास है कि उन्हें इससे बुरा भी न लगा होगा।" __कृष्ण ने कहा--"वे हमारी माता हैं, इसलिए हमें ऐसे वचन न कहने चाहिए।" बलराम ने नम्रतापूर्वक कहा-“भाई! तुम्हारा कहना ठीक है, यशोदा
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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