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बारहवाँ परिच्छेद कंस वध
एक दिन देवकी को देखने के लिए कंस वसुदेव के घर गया। वहां पर उसने देवकी की उस कन्या को देखा, जिसकी नासिका छेदकर उसने जीवित छोड़ दिया था। उसे देखकर कंस के हृदय में कुछ भय का संचार हुआ, इसलिए घर आने पर उसने एक अच्छे ज्योतिषीं को बुलाकर उससे पूछा कि मुनिराज ने जो यह कहा था कि "देवकी का सातवां गर्भ- तुम्हारा भानजा - तुम्हारी मृत्यु का कारण होगा, यह बात झूठ है या सच है ?".
ज्योतिषी ने कुछ सोच विचारकर कहा - "हे राजन् ! मुनि का वचन मिथ्या नहीं हो सकता। देवकी का सातवां गर्भ, जो तुम्हारी मृत्यु का कारण होगा, कहीं न कहीं जीवित अवस्था में अवश्य विद्यमान होगा। वह कहां है, यह जानने के लिए तुम अपने अरिष्ट नामक वृषभ, केशी नामक अश्व, दुर्दान्त गर्दभ तथा दुर्दमनीय मेष को वृन्दावन में छोड़ दो और उन्हें स्वच्छन्द विचरण करने दो। जो इन चारों को मारे, उसे ही देवकी का सातवां पुत्र समझना । निःसन्देह उसी के हाथ से तुम्हारी मृत्यु होगी । "
कंस ने पूछा – “क्या इसके अतिरिक्त उसकी और भी कोई पहचान
है?"
ज्योतिषी ने कहा – “हां, अवश्य है। आपके यहां शारंग नामक जो धनुष है, आपक़ी बहिन सत्यभामा जिसकी नित्य पूजा करती है, उसे जो चढ़ायगा, वही आपके प्राणों का घातक होगा । ज्ञानियों का कथन है कि वह धनुष वासुदेव के सिवा और कोई धारण न कर सकेगा। इसके अतिरिक्तं वही