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________________ 220 * कृष्ण वासुदेव और बलभद्र का जन्म का गिरना बन्द हो जाता, उनकी दृष्टि स्थिर बन जाती और उनकी जिह्वा भी कृष्ण का ही जप करने लगती। कभी कभी वे कृष्ण के ध्यान में इस प्रकार तन्मय बन जाती, कि उन्हें सामने रक्खे हुए पात्रों का भी ध्यान न रहता और वे अनेक बार भूमि पर ही गायों को दुह देती। कृष्ण सदा दीन दुःखियों की आततायियों से रक्षा करने के लिए प्रस्तुत रहते थे, इसलिए कृष्ण को अपने पास बुलाने के लिए अनेक बार गोपियां भीत और त्रस्त मनुष्यों की भांति झुठमुठ चीत्कार कर उठती थी। कृष्ण जब उनके पास जाते तब वे हँस पड़ती . और तरह तरह से अपना प्रेम व्यक्त कर, अपने हृदय को शान्त करती। ___ कभी कभी गोपियां निर्गुण्डी आदि पुष्पों की माला बनाती और कृष्ण के . कण्ठ में उसे जयमाल की भांति पहनाकर आनन्द मनाती। कभी वे गीत और - नृत्यादिक द्वारा कृष्ण का मनोरंजन करती और उनके शिक्षा वचन सुनकर अपने कर्णो को पावन करती। कृष्ण समस्त गोपालों के अग्रणी थे, इसलिए. उन्हें गोपेन्द्र के नाम से भी सम्बोधित करती थी। जिस समय कृष्ण मोरपंख धारण कर मधुर स्वर से मुरली बजाते, उस समय गोपियों का हृदय भी थिरक थिरक कर नाचने लगता। कभी कभी गोपियां कृष्ण से कमल ला देने की प्रार्थना करती तो वे उन्हें लाकर देते। गोपियाँ इससे बहुत ही सन्तुष्ट रहती थी। कभी कभी वे मधुर शब्दों में राम को उलाहना देते हुए कहने लगती-“हे राम! तुम्हारा भाई ऐसा है कि यदि हम उसे देख लेती है, तो वह हमारा चित्त हरण कर लेता है और यदि हम उसे नहीं देखती, तो वह हमारा जीवन ही नष्ट कर देता है।" कभी कभी कृष्ण पर्वत के शिखर पर चढ़े जाते और वहां से वंशी बजाकर राम का मनोरंजन करते थे। कभी कभी कृष्य नृत्य करते, गोपियाँ गायन गाती और राम तबलची की भांति हस्तताल देते थे। इस प्रकार विविध क्रीड़ा करते हुए राम और कृष्ण के ग्यारह वर्ष देखते ही देखते सानन्द व्यतीत हो गये।
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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