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________________ 126 * कनकवती से वसुदेव का ब्याह मुनिराज ठहर गये। धन्य भैसों दोह कर सारा दूध मुनिराज के पास ले आया और अपने आत्मा को धन्य मान कर उसी दूध से मुनिराज को पारणा कराया। इसके बाद मुनिराज सारी रात्रि वहीं पर बिताकर दूसरे दिन वहां से अपने इष्ट स्थान को चले गये। मुनिराज के संसर्ग से धन्य ने अपनी स्त्री के साथ सम्यक्त्व धारण कर दीर्घकाल तक श्रावक धर्म का पालन किया। इसके बाद यथासमय उन्होंने दीक्षा ले ली और सात वर्ष तक दीक्षा पालन कर समाधि द्वारा दोनों ने अपने शरीर त्याग दिये। क्षीरदान द्वारा उपार्जित पुण्य के कारण वे दोनों हैमवत क्षेत्र में युगलिए हुए और वहां से मृत्यु होने पर वे क्षीरडिंडीरा के नाम से देव और देवी के रूप में दम्पति हुए। *
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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