SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री नेमिनाथ-चरित * 123 प्रणाम कर नम्रता से पूछा—“हे देव! मुझे यह जानने की बड़ी इच्छा है कि आपने यहां आने का कष्ट क्यों उठाया था?" यह सुनकर कुबेर ने कहा-"कनकवती के पूर्वभव।" “इसी भरत क्षेत्र में अष्टापद के पास संगर नामक एक नगर है। वहां पर मम्मन नामक राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम वीरमती था। एक दिन वह राजा अपनी रानी के साथ शिकार खेलने निकला। संयोगवश उसी समय एक मलीन वेशधारी साधु अपने समुदाय के साथ सामने से आते हुए उसे दिखायी दिये। राजा के विचार बहुत ही नीच थे, इसलिए उसने समझा कि यह बहुत ही बुरा अपशकुन हुआ और इसके कारण अवश्य ही मेरे शिकार में बाधा पड़ेगी।" यह सोचकर राजा ने मुनिराज को समुदाय से अलग कर लिया और उन्हें अपने साथ लेकर वह अपने राजमन्दिर को लौट आया। वहां पर उसने तथा उसकी रानी ने बारह घण्टे तक उस साधु को नाना प्रकार के कष्ट दिये। इसके बाद कुछ दया आ गयी इसलिए उन्होंने मुनिराज से पूछा- “तुम कहां से आ रहे थे और कहां जा रहे थे?" . . ... यह सुनकर मुनिराज ने कहा-“हे भद्र! मैं जिन प्रतिमाओं की वन्दना करने के लिए अपने समुदाय के साथ रोहतकपुर से अष्टापद की ओर जा रहा था। आपने मुझे उन लोगों से अलग कर लिया, फलत: धर्मकर्म के बँधे हुए अन्तराय के कारण मैं अष्टापद पर न जा सका!" । ___ राजा और रानी लघुकर्मी थे, इसलिए मुनि से बातचीत करने पर दु:स्वप्न की भांति वे क्रोध को भूल गये। मुनिराज तो स्वभाव से ही परोपकारी थे, इसलिए उन्होंने जब देखा कि इनका हृदय कोमल है, तब उन्होंने उन्हें जीवदया प्रधान जिनधर्म कह सुनाया। इससे उन दोनों को धर्म पर कुछ श्रद्धा उत्पन्न हुई तथा भोजनादिक द्वारा मुनिराज का आतिथ्य-सत्कार किया। तदनन्तर वे दोनों श्रावक व्रत ग्रहण कर जिस प्रकार कृपण धन की रक्षा करता है, उसी प्रकार दोनों जन व्रतादिक का पालन करने लगे। _. संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं, जो धर्मनिष्ट मनुष्यों को धर्म द्वारा प्राप्त न होती हो एक दिन धर्मभाव स्थिर करने के लिए शासनदेवी वीरमती को
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy