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________________ तीन सौ आठ मुनियों के साथ भगवान मोक्ष पधारे। इंद्रादि देवों ने मोक्षकल्याणक किया। .. प्रभु की कुल आयु ३० लाख पूर्व की थी, जिसमें से उन्होंने साढ़े सात लाख सोलह पूर्वांग तक कुमारावस्था भोगी, साढ़े इक्कीस लाख पूर्व तक राज्य किया, सोलह पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व तक चारित्र पाला, आयु पूर्ण कर वे मोक्ष गये। उनका शरीर २५० धनुष ऊंचा था। सुमतिनाथ के निर्वाण के बाद ६० हजार कोटि सागरोपम बीते, तब पद्मप्रभु मोक्ष में गये। · नकशे में एक सेठ अपने ऐश्वर्य से अति गर्विष्ट थे। उन्होंने नगर में नहीं था ऐसा बड़ा एवं ऊँचा विशाल मकान बनवाया। और फिर सभी को मकान बताता था। जो आते वे प्रशंसा करते। एक व्यक्ति ने वहाँ तक कह दिया ऐसा महल प्रासाद तो दुनिया में भी नहीं है। तब से तो वह जो आये उसे कहने लगा कि ऐसा मकान तो विश्व में नहीं होगा। ऐसे में एक बुद्धिमान और हितशिक्षा देने की कला में प्रवीण उसका एक संबंधी आया उसको भी मकान बताया तब उसने कहा आपने विश्व का यह नकशा यहां बनवाया है इसमें तुम्हारा नगर कितना बड़ा है और उसमें तुम्हारा मकान कितना बड़ा है यह जरा इस में देखकर बताओ। अब वह क्या बोले? पद्मप्रभ जिन वरणे राता, जगत जीव के आप हे त्राता । मोहन कूट पर मुनिवर अंगे, शिवपढ पावे चंगे रंगे ॥ : श्री तीर्थंकर चरित्र : 75 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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