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विवाह के पश्चात छः लाख से कुछ न्यून पूर्व वर्ष तक प्रभु ने सुमंगला और सुनंदा के साथ विलास किया। सुमंगला ने १४ महास्वप्नों सहित चक्रवर्ती भरत और ब्राह्मी को एक साथ प्रसवा। सुनंदा ने भी बाहुबलि और सुंदरी का जोड़ा सा तत्पश्चात् सुमंगलाने ४६ युग्म पुत्रों को और जन्म दिया। इस तरह प्रभु के कुल मिलाकर १०० पुत्र और २ कन्याएँ उत्पन्न हुई। 1
प्रभु की संतान जब योग्य वय को प्राप्त हुई तब उन्होंने प्रत्येक को भिन्न-भिन्न कलाएँ सिखायी।
• भरत को ७२ कलाएँ सिखलायी थी। भरत ने भी अपने भाईयों को
1. एक सौ पुत्रों के नाम १. भरत, २. बाहुबलि, ३. शंख, ४. विश्वकर्मा, ५. विमल, ६. सुलक्षण, ७. अमल, ८. चित्रांग, ९. ख्यातकीर्ति, १०. वरदत्त, ११. सागर, १२. यशोधर, १३. अमर, १४. रथवर, १५. कामदेव, १६. ध्रुव, १७. वत्स, १८. नंद, १९. सुर, २०. कपिल, २१. शैलविहारी, २२. अरिंजय, २३. सुनंद, २४ कुरु, २५. अंग, २६. बंग, २७. कौशल, २८. वीर, २९. कलिंग, ३०. मागध, ३१. विदेह, ३२. संगम, ३३. दशार्ण, ३४. गंभीर, ३५. वसुवर्मा, ३६. सुवर्मा, ३७. राष्ट्र, ३८. सौराष्ट्र, ३९. बुद्धिकर, ४०. विविधकर, ४१. सुयशा, ४२. यश: कीर्ति, ४३. यशस्कर, ४४ कीर्तिकर, ४५. सूरण, ४६. ब्रह्मसेन, ४७. विक्रांत, ४८. नरोत्तम, ४९. पुरुषोत्तम, ५०. चंद्रसेन, ५१: महासेन, ५२. नभसेन, ५३. भानु, ५४. सुकांत, ५५. पुष्पयुत, ५६. श्रीधर, ५७. दुर्धष, ५८. सुसुमार, ५९. दुर्जय, ६०. अजयमान, ६१. सुधर्मा, ६२. धर्मसेन, ६३. आनंदन, ६४. आनंद, ६५. नंदन, ६६. अपराजित, ६७. विश्वसेन, ६८. हरिषेण, ६९. जय, ७०. विजय, ७१. विजयवंत, ७२. प्रभाकर, ७३. अरिदमन, ७४. मान, ७५. महाबाहु, ७६. दीर्घ बाहु, ७७. मेघ, ७८. सुघोष, ७९. विश्व, ८०. वराह, ८१. सुसन, ८२. सेनापति, ८३.. कुंजरबल, ८४. जयदेव, ८५. नागदत्त, ८६. काश्यप, ८७. बल, ८८. सुवीर, ८९. शुभमति, ९०. सुमति, ९१. पद्मनाभ, ९२. सिंह, ९३. सुजाति, ९४. संजय, ९५. सुनाभ, ९६. मरुदेव, (नरदेव) ९७. चित्तहर, ९८. सुख, ९९. दृढरथ, १००. प्रभंजन कन्याओं के नाम ब्राह्मी और सुंदरी ।
2. पुरुष की ७२ कलाओं के नाम ये हैं १. लेखन, २. गणित, ३ . गीत, ४. नृत्य, ५. वाद्य, ६. पठन, ७. शिक्षा, ८. ज्योतिष, ९. छंद, १०. अलंकार, ११.व्याकरण, १२. निरुक्ति, १३. काव्य, १४. कात्यायन, १५. निघंटु, १६. गजारोहण, १७. अश्वारोहण उन दोनों की शिक्षा, १८. शास्त्राभ्यास, १९. रस,
: श्री आदिनाथ चरित्र : 22 :
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