________________
है; उसे मत लाना; परंतु अपने लिये मार्जारकृत (मार्जार नामक वायु को शांत करनेवाला) बीजोरा पाक बनाया है। उसे ले आना।' . सिंहमुनि रेवती के मकान पर गये। धर्मलाभ दिया। रेवती ने वंदनाकर सुखसाता पूछने के बाद प्रश्न किया – 'पूज्यवर आपका आना कैसे हुआ?' सिंह मुनि बोले – 'मैं भगवान के लिए औषध लेने आया हूं।'
रेवती प्रसन्न हुई। उसने भगवान के लिए जो कुष्मांड पाक तैयार किया था वह बहोराने लगी। सिंह मुनि बोले – 'महाभागा! प्रभु के निमित्त से बनाये हुए इस पाक की आवश्यकता नहीं है। तुमने अपने लिये बीजोरा पाक बनाया है वह लाओ।'
भाग्यवती रेवती ने इसको अपना अहोभाग्य जाना और बीजोरा पाक बड़े भक्ति-भाव से साथ सिंह मुनि को बोहरा दिया। इस शुद्ध दान से रेवती ने देवायु का बंध किया।
सिंह मुनि बीजोरा पाक लेकर महावीर स्वामी के पास गये और यथाविधि उन्होंने वह प्रभु के सामने रखा। प्रभु ने उसका उपयोग किया और वे रोगमुक्त हुए। उस दिन गोशालक ने तेजो लेश्या रखी उसे छः महीने बीते थे। प्रभु के आरोग्य होने के समाचार सुनकर सभी प्रसन्न हुए।
अनुक्रम से विहार करते हुए महावीर स्वामी पोतनपुर में पधारे और मनोरम नाम के उद्यान में समोसरे। पोतनपुर का राजा प्रसन्नचंद्र प्रभु को वंदना करने आया और प्रभु का उपदेश सुन, संसार को असार जान, दीक्षित हो गया। प्रभु के साथ रहकर राजर्षि प्रसन्नचंद्र सूत्रार्थ के पारगामी हुए।
एक बार विहार करते हुए प्रभु राजगृह नगर के बाहर समोसरे। प्रसन्नचंद्र मुनि थोड़ी दूर पर ध्यान करने लगे। राजा श्रेणिक अपने परिवार
और सैन्य सहित प्रभु के दर्शन को चला। रास्ते में उसने राजर्षि प्रसन्नचंद्र को, एक पैर पर खड़े हो ऊंचा हाथ किये आतापना करते देखा। श्रेणिक भक्ति सहित उनकी वंदनाकर के महावीर स्वामी के पास पहुंचा। और प्रदक्षिणा दे, वंदनाकर, हाथ जोड़, बैठा व बोला – 'भगवन्! मैंने इस समय आते हुए राजर्षि प्रसन्नचंद्र को उग्र तप करते देखा है। अगर वे इस समय कालधर्म को पावें तो कौनसी गति में जायेंगे?'
: श्री महावीर चरित्र : 276 :