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तुमको परलोक के विषय में शंका है। तुम्हारा खयाल है कि, आत्मा पंच भूतों का समूह है। उनका अभाव होने से यानी समूह के बिखर जाने से आत्मा भी नष्ट हो जाता है। जब आत्मा ही नहीं रहता तो फिर परलोक किसको मिलेगा ? मगर तुम्हारी यह शंका आधारहीन है। कारण, जीव पंच भूतों से जुदा है। पांच भूतों के एकत्र होने से कभी चेतना नहीं उपजती। चेतना जीव का धर्म है और वह पंच भूतों से भिन्न है। इसीलिए पंचभूतों के नष्ट होने पर भी जीव कायम रहता है और वह परलोक में, एक देह को छोड़कर दूसरी देह में जाता है। किसी किसी को जातिस्मरण होने से पूर्व भव की बातें भी याद आती है।'
मेतार्य की शंका मिट गयी और उन्होंने अपने ३०० शिष्यों के साथ प्रभु के पास से दीक्षा ले ली।
उनके बाद प्रभास' प्रभु के पास आये। प्रभु बोले- 'हे प्रभास! तुम्हें मोक्ष के संबंध में संदेह है। मगर यह ठहर सके ऐसी शंका नहीं है। कारण, जीव और कर्म के संबंध का विच्छेद ही मोक्ष है। मोक्ष और कोई दूसरी चीज नहीं है। वेद से और जीव की अवस्था की विचित्रता से कर्म सिद्ध हो चुका . है। शुद्ध ज्ञान, दर्शन और चारित्र से कर्मों का नाश होता है। इससे ज्ञानी पुरुषों को मोक्ष प्रत्यक्ष भी होता है । '
प्रभास की भी शंका मिट गयी और उन्होंने भी अपने ३०० शिष्यों के साथ प्रभु के पास से दीक्षा ग्रहण कर ली।
इस तरह ग्यारह प्रसिद्ध विद्वान ब्राह्मण महावीर के शिष्य हो गये। इससे महावीर के ज्ञान की चारों तरफ धाक बैठ गयी। ये ही ग्यारह महावीर के मुख्य शिष्य हुए और गणधर कहलाये।
चंदनबाला शतानिक राजा के यहां थीं। वे भी महावीर स्वामी के पास आकर दीक्षित हो गयी। उनके साथ ही अनेक स्त्री पुरुषों ने दीक्षा ले
1. हिन्दुशास्त्रों में पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश को पंच भूत माना है। 2. प्रभास के पिता का नाम बल और उनकी माता का नाम अतिभद्रा था। ये राजगृह नगर के रहनेवाले कौडिन्य गोत्रीय ब्राह्मण थे। इनकी उम्र ४० बरस की थी। ये १६ बरस गृहस्थ ८ बरस छद्मस्थ और १६ बरस केबली रहे थे।
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: श्री महावीर चरित्र : 262 :