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________________ (भगवान महावीर का भव) : जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र के मगध प्रदेश में ब्राह्मण कुंड नाम का एक ब्राह्मणों का गांव था। उसमें कुडालस कुल का ऋषभदत्त नामक ब्राह्मण रहता था। उसके देवानंदा नाम की भार्या थी। वह जालंधर कुल में जन्मी थी। उसको आषाढ़ सुदि ६ के दिन चंद्रमा जब हस्तोत्तर (उत्तरफाल्गुनी) नक्षत्र में आया था, तब चौदह महास्वप्न आये और नंदन ऋषी का जीव दसवें देवलोक से च्यवकर देवानंदा की कोख में आया। सवेरे ही देवानंदा ने अपने पति से स्वप्नों की बात कही। ऋषभदत्त ने कहा- 'तुम्हारे गर्भ से एक महान आत्मा जन्म लेगा। वह चारों वेदों का पारगामी और परम निष्ठावान बनेगा।' यह सुनकर वह बहुत प्रसन्न हुई । प्रभु के गर्भ में आने के बाद ऋषभदत्त को बहुत मान और धन मिले। जब देवानंदा के गर्भ को बयासी दिन बीते तब सौधर्म देवलोक के इंद्र का आसन कंपा। सौधर्मेन्द्र ने अघधिज्ञान से प्रभु को देवानंदा के गर्भ में आया जान, सिंहासन से उतरकर वंदना की। फिर वह सोचने लगा 'तीर्थंकर कभी तुच्छ कुल में, दरिद्र कुल में या भिक्षुक कुल में उत्पन्न नहीं • होते। वे हमेशा इक्ष्वाकु आदि क्षत्रिय वंश में ही जन्मते हैं। महावीर प्रभु भिक्षुक कुल की स्त्री के गर्भ में आये, यह उन्हें, मरीचि के भव में किये हुए, कुलाभिमान का फल मिला है। अब मैं उनको किसी उच्च क्षत्रिय वंश में पहुंचाने का प्रयत्न करूं। इंद्र ने अपनी प्यादा सेना के सेनापति हरीणैगमेषी देव को बुलाया और हुक्म दिया – ''मगध में क्षत्रियकुंड' नाम का नगर है। उसमें इक्ष्वाकु - 1. ऋग्वेद में इस देश का कीकट नाम से उल्लेख है। अर्थवेद में इसको मगध देश ही लिखा है। हेमचंद्राचार्य ने अपने कोश में दोनों नाम दिये हैं। पन्त्रवणा सूत्र में आर्य देश गिनाते समय मगध सबसे पहले गिनाया गया है। इस समय . का बिहार प्रांत मगध देश कहा जा सकता है। इसमें जैनों और बौद्धों के बहुत से तीर्थ है। इससे वे उसे पवित्र मानते हैं। 2. बिहार प्रांत के बसाढ पट्टी के पास बसुकुंड नाम का एक गांव है। शोधक उसको क्षत्रियकुंड बताते हैं। : श्री महावीर चरित्र : 206 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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