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________________ आषाढ शुक्ला ८ के दिन चित्रा नक्षत्र में मोक्ष गये। इंद्रादि देवों ने निर्वाण कल्याणक मनाया। राजीमती आदि अनेक साध्वियां भी केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष में गयी। राजीमती की कुल आयु ६०१ वर्ष की थी। वे ४ सौ वर्ष कौमारावस्था में, एक वर्ष संयम लेकर छद्मस्थावस्था में और ५ सौ वर्ष केवली अवस्था में रही थी। भगवान नेमिनाथ तीन सौ वर्ष कौमारावस्था में और ७ सौ वर्ष साधुपर्याय में रहे, १ हजार वर्ष की आयु बिता, नमिनाथजी के मोक्ष जाने के बाद पांच लाख वर्ष बीते तब, मोक्ष गये। उनका शरीर प्रमाण १० धनुष था। ___ भगवान नेमिनाथ के तीर्थ में नवें वासुदेव कृष्ण, नवें बलदेव बलभद्र और नवें प्रति-वासुदेव जरासंघ हुए हैं। साधु और स्वर्ण मोहरें अकबर बादशाह के समय की बात है। अकबर धर्म कार्य में दान पुण्य पर आस्थावाला था। उसे साधु-संतो पर प्रीति थी। एक दिन उसने सोचा आज साधु-संतों में सो सोना मुहरें का दान करवा दं, और बीरबल जो साधु-संतों का भक्त था। उसे बुलाकर कहा-जा ये सो स्वर्ण मोहरें साधु-संतों को दक्षिणा दान में देकर आजा। बीरबल दिन भर घूमकर थेली वापिस ले आया। अकबर ने पूछा – यह क्या? कोई साधु-संत नगर में नहीं है? उसने कहा साधु-संत बहुत है। तो फिर वापिस क्यों ले आया? बीरबल ने कहा-आपने साधु-संतों को देने का कहा था। मैं गया तो साधु-संत तो स्वर्ण का स्पर्श भी नहीं करते और जो केवल साधु के वेश में थे। उनको देने से धर्म थोड़ा ही होता है। अतः मैं वापिस ले आया। तीन कल्याणक रैवतरिगि पर, दीक्षा केवल अंतिम सुनवकर । नेमिनाथ बाल ब्रह्मचारी, वंदना हो नित प्रति हमारी ॥ : श्री नेमिनाथ चरित्र : 172 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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