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पाँच समिति
* ढाल १ * १. ईर्या समिति दोहा-पंच महाव्रत प्रादरो, प्रातम करो विचार ।
अहो अहो मुझ प्रत्यक्ष थवो, धन्य धन्य अवतार । विनती अवधारो रे, इरियाये चालो रे,
शक्ति संभालो आत्म स्वभाव नी रे ॥ १ ॥ इरिया ते कहिये रे, मति सु भेट लहिये रे,
___ पुठ तव बाली कुमति संगथी रे ।। २ ।। द्रव्य थी पण सार रे, किलामणा लगार रे,
रखे नवि ऊपजे हवे पर प्राण नेरे ।। ३ ।। मुनि मारग चालो रे, द्रव्य भाव सुम्हालो रे, . आतम ने उजवालो भव दव चक्र थी रे ।। ४ ।। एम सुमति गुण पामी रे, पर भाव ने वामी रे,
कहे हवे स्वामी 'प्रानन्दघन' 'ते थयो रे ॥ ५॥ नोट:-पाँच समिति की पाँचों ढाल श्रीमद् आनन्द्रघनजी द्वारा रचित ही हैं। इसमें शंका की तनिक भी आवश्यकता नहीं है। ये ढालें श्री अगरचन्दजी नाहटा ने श्रीमद् देवचन्द्र सज्झायमाला भाग १ में प्रकाशित कराई थीं।
* ढाल २%
२. भाषा समिति बोजी समिति सांभलो, जयवंताजी,
भाषा को इण नाम रे गुणवंताजी। भाटवे भाषण स्वरूप नु जयवंताजी,
रूपो पदारथ त्याग रे गुणवंताजी ।। १ ।।