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अनूठा प्रकाशन
! योगिराज श्रीमद् आनन्दघनजी!
एवं उनका काव्य
जैनधर्मदिवाकर परम पूज्य प्राचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय सुखोल सूरीश्वरजी महाराज सा. एवं पूज्य पंन्यासप्रवर
श्री जिनोत्तम विजयजी गणिर्य महाराज सा.
- लेखक एवं सम्पादक - नैनमल विनयचन्द्र सुराणा ... एम.ए., बी.एड., साहित्यरत्न ___सिरोही (राजस्थान)
- प्रकाशन सहयोग - : । श्री जैन श्वेताम्बर सकल संघ । मेड़तासिटी (राजस्थान) irror----.-.-.-.-.-.-.-.