________________
Uvavaiya Suttam Su 19
अनगारों की तपश्चर्या Penances by Monks
____ तेसिं णं भगवंताणं एतेणं विहारेणं विहरमाणाणं इमे एआरूवे
अभिंतर-बाहिरए तवोवहाणे होत्था । तं जहा-अभिंतरए छविहे बाहिरए वि छविहे ॥१८॥
___ इस प्रकार के विहार से विचरणशील उन अनगार भगवन्तों का यों-इस रूप से आभ्यन्तर तथा बाह्य तपमूलक आचार था। जैसा कि-आभ्यन्तर तप छः प्रकार का है तथा बाह्य तप भी छः प्रकार का है। ॥१८॥
While wandering, the monks were required to perform penances, external as well as internal. Internal penance has six types and external penance too has six types. 18
बाह्य तप
External Proces
से किं तं बाहिरए ? . बाहिरए छविहे पण्णत्ते । तं जहा–अणसणे ऊणो (अवमो) अरिया भिक्खा अरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसे पडिसंलीणया ।
वह बाह्य तप क्या है ? ( वे कौन-कौन से हैं ? )
बाह्य तप छः प्रकार का कहा गया है । (१) अनशन-आहार नहीं करना, (२) अवमोदरिका-भूख से कम खाना अथवा द्रव्यात्मक और भावात्मक साधनों को कम उपयोग में लाना, (३) भिक्षाचा-भिक्षा से प्राप्त संयमी जीवनोपयोगी निर्दोष साधनों-आहार, वस्त्र, पात्र, औषध आदि वस्तुओं को ग्रहण करना, (४) रस परित्याग-रसास्वाद से विमुख हो जाना या रसप्रद पदार्थों का त्याग करना, (५) कायक्लेश.-सुकुमारता या