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उववाइय सुत्तं सू० ४३
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Mahāvira : No, this is not correct.
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Gautama : Bhante ! Then where do they reside ?
Mahavira : Gautama ! Far, far above the excellent region from the Ratnaprabhā hell, are the bhavanas (abodes) of the moon, the sun, the planets, the stars, etc., and many yojanas, hundreds, thousands, hundred-thousands, crores, crores and crores yojanas above the said bhavanas, are the heavens Saudharma, Isana, Sanatkumāra, Mahendra, Brahma, Lāntaka,
Mahasukra, Sahasrāra, Anata, Pranata, Arena, Acyuta, beyond the 318 Graiveyaka vimänas, beyond Vijaya, Vaijayanta, Jayanta, Aparajita and Sarvārthasiddha, the great vimānas, atop these, with a gap of 12 yojanas, there is a world named Işatprāgbhārā.
- पण यालीसं.जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं सयसहस्साइं तीसं च सहस्साइं दोण्णि य अरणापण्णे जोयणसए किंचिं विसेसाहिए परिरएणं । ईसिपब्भारा य णं पुढवीए बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठजोयणाई बाहुल्लेणं । तयाऽणंतरं च णं मायाए मायाए पडिहायमाणी पडिहायमाणी सव्वेसु चरिमपेरंतेसु मच्छियपत्ताओ तणुयतरा अंगुलस्स असंखेज्जइभागं बाहुल्लेणं पण्णत्ता।
. वह पृथ्वी पैंतालीस लाख योजन की लम्बी-चौड़ी है। उसकी परिधि एक करोड़ बयालीस लाख तीस हजार दो सौ उनचास योजन से कुछ अधिक है। वह ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी अपने बहु मध्य देश भाग में अर्थात मध्य भाग में आठ योजन जितने क्षेत्र में आठ योजन मोटी है। उस के बाद मोटेपन में क्रमशः कुछ-कुछ कम होती हुई सब से अन्तिम किनारों-छोरों पर मक्षिका-मक्खी की पांख से भी पतली है। उन अन्तिम किनारों की मोटाई अंगुल के असंख्यातवें भाग जितनी बतलाई गई है।