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Uvavaiya Suttam Si. 43,
सिद्ध यमान के संहननादि
Bone-structure, etc. of the Liberated
गौतम : जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरंमि संघयणे सिझंति ?
महावीर : गोयमा! वइरोसभणारायसंघयणे सिझति । ..
गौतम : जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरंमि संठाणे सिझति ?
महावीर : गोयमा ! छण्हं संठाणाणं अण्णतरे संठाणे सिझति ।
गौतम : भगवन् ! सिद्ध यमान-सिद्ध होते हुए जीव किस संहनन- . दहिक अस्थि-बन्ध में सिद्ध होते हैं ? ।
महावीर : हे गौतम ! वे बज़-ऋषभ-नाराच संहनन-कीलिका और पढ़ी सहित मर्कट बन्धमय सन्धियों वाला अस्थियों का बन्धन में सिद्ध होते हैं।
गौतम : प्रभो ! सिद्ध यमान–सिद्ध होते हुए जीव कौन से संस्थानशारीरिक आकार में सिद्ध होते हैं ?
महावीर : हे गौतम ! छह संस्थानों-समचतुरस्र, न्यग्रोधपरिमण्डल, सादि, वामन, कुब्ज एवं हुंड में से किसी भी संस्थान में सिद्ध हो सकते हैं।
Gautama : Bhante ! A being marked for perfection, in what type of bone-structure is he perfected ?