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उववाइय सुत्तं सू० ४३
307 Mabāvira : Gautama! He is perfected in a bone-structuro . called vajra-rsabha-nārāca.
Gautama : Bhante! In what body form is one marked for perfection perfected ?
Mahavira : Gautama! of the six forms, he may be perfected in any one.
गौतम : जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरंमि उच्चत्ते सिझंति ?
महावीर : गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरयणीओ उक्कोसेणं पंचधणुस्सए सिझंतिः।
गौतम : जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरंम्मि आउए सिझंति ? .
महावोर : गोयमा ! जहणेणं साइरेगट्ठवासाउए उक्कोसेणं पुव्वकोडियाउए सिझंति ।
.. गौतम : भगवन् ! सिद्ध यमान-सिद्ध होते हुए जीव कितनी अवगाहना-ऊँचाई में सिद्ध होते हैं ?
. . महावीर : हे गौतम ! जघन्य--कम से कम सात हाथ तथा उत्कृष्ट
अधिक से अधिक पांच सौ धनुष की अवगाहना-ऊँचाई में सिद्ध - होते हैं।
... गौतम : हे प्रभो ! सिद्ध यमान-सिद्ध होते हुए जीव कितने आयुष्य में
सिद्ध होते हैं ?
महावीर : हे गौतम ! जघन्य-कम से कम आठ वर्ष से कुछ अधिक आयुष्य में सिद्ध हो सकते हैं। तथा उत्कृष्ट अधिक से अधिक करोड़