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Uvavaiya Suttam Sh. 40
. माता-पिता यह जानकर कि अब बालक दढ़प्रतिज्ञ आठ वर्ष से . कुछ अधिक का हो गया है, उसे शुभ तिथि, शुभ करण, शुभ नक्षत्र और शुभ मुहूर्त में 'शिक्षण' के लिये कलाचार्य के पास ले जायेंगे। तब कलाचार्य उस दृढ़प्रतिज्ञ बालक को लेख एवं गणित से लेकर पक्षी शब्द से शुभाशुभ का ज्ञान तक बहत्तर कलाएँ सूत्र रूप में-सैद्धान्तिक दृष्टि से, अर्थ रूप म
-व्याख्यात्मक दृष्टि से, तथाकरण रूप में--प्रयोगात्मक दृष्टि से सघायेंगे, सिखायेंगे-अभ्यास करायेंगे।
Then when the boy will complete his eighth year, on an auspicious day, with favourable stars shining, at a very auspicious moment, the parents will take the boy to the family preceptor. The said preceptor will impart to the boy the knowledge of many an art, the art of writing, the art of, calculation, the art of omen-reading and many others, the texts, their meaning and their application.
___तं जहा-लेहं गणितं रूवं पट्टं गोयं वाइयं सरगयं पुक्खरगयं समतालं जूयं जणवायं पासकं अट्ठावयं पोरेकच्चं दगमट्टियं अण्णविहिं पाण विहिं वत्थविहिं विलेवणविहिं सयणविहिं अज्जं पहेलियं मागहियं गाहं गोइयं सिलोयं. हिरण्णजुत्ती सुवण्णजुत्तो गंधजुत्ती चुण्णजुत्ती आभरणविहिं तरुणीपडिकम्मं इथिलक्खणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्खणं कुक्कुडलक्खणं चक्कलक्खणं छत्तलक्खणं चम्मलक्खणं दंडलक्खणं असिलक्खणं मणिलक्खणं काकणिलक्खणं वत्थुविज्जं खंधारमाणं नगरमाणं वत्थुनिवेसणं वृहं पडिवुहं चारं पाडचारं चक्कवूहं गरूलवूह सगडवूहं जुद्धं निजुद्धं जुद्धातिजुद्धं मुट्ठिजुद्धं बाहुजुद्धं लयाजुद्धं इसत्थं छरुप्पवाहं धणुव्वेयं हिरण्णपागं सुवण्णपागं वट्टखेडं खुत्ताखेड्डु णालियाखड्ड पत्तच्छेज्जं क वच्छेज्जं सज्जीवं निज्जीवं सउणरुतमिति बावत्तरिकला सेहाविति ।