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Uvavaiya Suttam Sh. 39
span of stay there is as long as ten sägaropamas. The rest as before. 12, Si. 38
अम्बड़ परिव्राजक के सात सौ शिष्य Seven Hundred Disciples of Ambada Parivräjaka
- तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स सत्त अंतेवासिसयाइं गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलमासंसि गंगाए महानईए उभओकूलेणं कंपिल्लपुराओ णयराओ पुरिमतालं णयरं संपट्ठिया विहागए।
उस काल ( वर्तमान अवसर्पिणी काल ) उस समय ( चतुर्थ आरे में : जब प्रभु महावीर सदेह विद्यमान थे ). एक बार जब ग्रीष्म काल' था, ज्येष्ठ के महीने में अम्बड़ परिव्राजक के सात सौ अन्तेवासी-शिष्य गंगा महानदी के दो किनारों से काम्पिल्यपुर नामक नगर से पुरिमताल नामक नगर को जाने के लिये रवाना हुए।
In that period at that time, in the month of Jaiştha during summer, seven hundred disciples of Ambaďa started from Kampilyapura to reach Purimatāla walking on both the banks of the Gangā.
तए णं तेसिं परिवायगाणं तीसे अगामियाए छिण्णोवायाए दोहमखाए अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेणं परिभुजमाणे झीणे।
___ उसके बाद वे परिव्राजक एक ऐसे निर्जन वन में पहुँच गये, जहाँ कोई गांव नहीं था, न व्यापारियों के काफिले थे, न गोकुल-गायों के समूह थे, और न गोवन्द की निगरानी करने वाले गोपालकों का आगमन था, जिसके