________________
226
Uvavaiya Suttam St. 38
स्वर्ण के पात्र या अन्य बहुमूल्य धातुओं के पात्र धारण करना कल्पनीय नहीं है, अर्थात् पूर्वोक्त पात्र रखना उनके लिये निषिद्ध है ।
Who do not indulge in any unnecessary gossip about women, meal, country, king or thieves, who do not keep, apart from gourd, wooden and earthen pots, any other made from iron, bell-metal, lead zinc, silver, gold, or any other which carries high value.
तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अयबंधणाणि वा तउअ-. बंधणाणि वा तंबबंधणाणि जाव...बहुमुल्लाणि धारित्तए। तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ णाणाविहवणारागरत्ताई वत्थाई धारित्तए णण्णत्थ एक्काए धाउरत्ताए । तेसिणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ हारं वा अद्धहारं वा एकावलिं वा मुत्तावलिं वा कणगावलि वा रयणावलिं वा मुरवि वा कंठमुरवि वा पालंबं वा तिसरयं वा कडिसुत्तं वा दसमुद्दिआणंतकं वा कडयाणि वां तुडियाणि वा अंगयाणि वा केऊराणि वा कुंडलाणि वा मउडं वा चूलामणि वा पिणद्धित्तए णणत्थ एकेणं तंबिएणं पवित्तएणं ।
__ उन परिवाजकों को लोहे ( शीशे, चाँदी, सोने आदि ) के अथवा दूसरे बहुमूल्यवान् द्रव्य से बंधे-इन सभी से या किसी भी प्रकार से बंधे हुए पात्र धारण करना कल्प्य नहीं है। उनके लिये यह वजित है। उन परिव्राजकों को एक धातु से-गेरूए रंग से रंगे हुए गेरूए वस्त्रों के अतिरिक्त दूसरे-तरह-तरह के रंगों से रंगे हुए वस्त्रों को धारण किये रहना नहीं कल्पता है। उन परिव्राजकों को ताँबें के एक पवित्रक-अंगूठी के सिवाय हार, अर्धहार, एकावली, मुक्तावली, कनकावली, रत्नावली, मुखी-हार--हार विशेष, कण्ठमुखी-कंठला / कण्ठ का आभरण विशेष, प्रालम्ब-लम्बी माला, त्रिसरक-तीन लड़ों का हार, कटिसूत्र-करधनी, दशमुद्रिकाएँ-अंगुठियां, कटक–कड़े, त्रुटित-तोड़े, अंगद, केयूर-बाजूबन्द,