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उववाइयं सुत्तं सू० ३८
उन परिव्राजकों को शकट-गाड़ी, स्यन्दमानिका-पुरुष प्रमाण पालकी पर चढ़ कर जाना नहीं कल्पता है। वैसा करना उनके लिये वर्जित है । उन परिवाजकों को घोड़े, हाथा, ऊँट, बैल, भैंस और गधे पर सवार होकर जाना नहीं कल्पता है अर्थात् वैसा करना उनके लिये अकल्पनीय है। उन परिव्राजकों को नाटक दिखाने वालों के नाटक, तथा स्तुति गायकों के प्रशस्तिमूलक कार्य-कलापों को देखना, सुनना नहीं कल्पता है। उनके लिये निषिद्ध है। उन परिव्राजको के लिये वनस्पति का संस्पर्श करना, उन्हें परस्पर मसलना-घिसना, हाथ-पैर आदि द्वारा अवरुद्ध करना, शाखाओं, प्रशाखाओं एवं पत्तों आदि को ऊँचा करना, मोड़ना, उखाड़ना अकल्पनीय है, ऐसा करना उनके लिये सर्वथा वर्जित है।
Who do not take for a ride any type of vehicle, from ordinary carriage, till syandamānikā, who do not witness any recreational programme, from Narapreksā, till Magadhapreksā, who do not unite plants, nor rub, collect, raise or uproot.
तेसिं परिव्वायगाणं णो कप्पइ इत्थिकहा इ वा भत्तकहा इ वा देसकहा इ वा रायकहा इ वा चोरकहा इ वा अणत्यदंडं करित्तए। तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अयपायाई वा तउअपायाणि वा तंबपायाणि वा जसदपायाणि वा सीसगपायाणि वा रुप्पपायाणि वा सुवण्णपायाणि वा अण्णयराणि बहुमुल्लाणि वा धारित्तए। णण्णत्थ लाउपाएण वा दारुपाएण वा मट्टिआपाएण वा।
उन परिव्राजकों के लिये स्त्री कथा, भक्त-भोजन कथा, देश कथा, राज कथा, चोर कथा, जनपद कथा जो अपने लिये तथा औरों के लिये निरर्थक एवं हानिप्रद है ऐसी कथाएँ करना नहीं कल्पता है, उनके लिये यह वर्जित है। उन परिव्राजकों के लिये तूंबे, काठ-लकड़ी एवं मिट्टी के पात्रों के अतिरिक्त लोहे, त्रपुक-रांगे, ताँबे, जसद, शीशे, चाँदी अथवा
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