________________
Uvavaiya Suttam Sh. 38
बहूई वासाई आउअं पालंति । पालित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णतरेसु वाणमंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति । तहिं तेसिं गती तहिं तेसिं ठिती तहिं तेसिं उववाए पण्णत्ते ।
जो ये जीव ग्राम, आकर, नगर, खेट, कर्बट, द्रोणमुख, मडंब, पत्तन, आश्रम, निगम, संवाह, सन्निवेश में मनुष्य के रूप में जन्म लेते हैं, इस प्रकार हैं : प्रकृतिभद्र-जो स्वभावतः सौम्य व्यवहारशील अर्थात् परोपकार परायण, प्रकृति उपशान्त-स्वभाव से शान्त, प्रकृति प्रतनु-क्रोध, मान, माया तथा लोभ इनकी उग्रता से रहित, हल्कापन लिये हुए, मृदुमार्दवसम्पन्नअत्यधिक कोमल स्वभाव-युक्त अर्थात् अहंकार रहित, आलीनः-गुरुजनों के आश्रित, आज्ञा पालक, विनीत-विनयशील, माता-पिता की सेवा करने वाले एवं उनकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करने वाले, अल्पेच्छा-बहुत कम इच्छा वाले, अल्पारम्भ-कम से कम हिंसा करने वाले, अल्प परिग्रह-धन, धान्य आदि परिग्रह के स्वल्प-परिमाण से संतुष्ट, अल्पारम्भ-अल्पसमारम्भ-जीवों के द्रव्य-प्राणों की हिंसा तथा जीव-परितापन की न्यूनता द्वारा आजीविका चलाने वाले, बहुत वर्षों का आयुष्य भोगते हैं। आयुष्य भोग कर अर्थात् पूरा कर मृत्यु काल के आने पर शरीर त्याग करके वाण-व्यन्तर देवलोकों में से किसी देवलोक में देव के रूप में उत्पन्न होते हैं। वहाँ उन देवों की गति, वहाँ उन देवों की स्थिति, वहाँ उन देवों का उपपात-उत्पत्ति होती है, ऐसा बतलाया गया है।
Those human beings who live in villages, mines, towns, etc., etc., who are gentle by nature, who are tranquil by nature, who have little anger, pride, attachment and greed, who are tender, sheltered with their elders, polite, serving their parents, who never violate the words of their parents, with little hankering, little endeavour, little property, little slaughter, little torture, little slaughter-torture for the earning of their livelihood, if people live like this for many years, such ones, after death at some point in eternal time, are born in one of the heavens meant for the Vāņavyantaras.