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उववाइय सुत्तं सू०३८
महावीर : गौतम ! वहाँ उन देवों की स्थिति बारह हजार वर्ष की बतलाई गई है। ___ गौतम : हे प्रभो ! क्या उन देवों के वहाँ ऋद्धि-परिवार आदि संपत्ति, द्युति-कान्ति, यश-ख्याति, कीर्ति, बल--शारीरिक-प्राण, वीर्य-आत्मजनित प्राणमयी शक्ति, पुरुषाकार-पुरुषार्थ या पौरुष की अनुभूति, पराक्रम ये सब होते हैं या नहीं ?
महावीर : हाँ, गौतम ! ऐसा होता है। गौतम् : हे प्रभो ! क्या वे देव देवलोक के आराधक होते हैं ? -
महावीर : गौतम ! यह आशय संगत नहीं है-ऐसा नहीं होता है अर्थात् वे देव परलोक के आराधक नहीं होते हैं ॥६॥
Gautama : Bhante! How long is their stay there ? Mahāvira : Gautama ! Twelve thousand years.
Gautama : 'Bhante! Do these celestial beings possess fortune, glow, fame, strength, vigour, vitality and prowess ?
Mahāvira : Yes, they do. Gautama : Bhante ! Do they propitiate the next birth ? Mahāvira : No, they do not. 6.
भद्र प्रकृतिवालों का उपपात
Rebirth of human beings who are gentle
से जे इभे गामागर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-मडंबदोणमुह-पट्टणासम-संबाह-संनिवेसेसु मणुआ भवंति । तं जहापगइभद्दगा पगइउवसंता पगइपतणुकोह-माण-माया-लोहा मिउमद्दव-संपण्णा अल्लीणा विणीआ अम्मापिउ-सुस्सूसका अम्मापिईणं
अणतिक्कमणिज्जवयणा अप्पिच्छा अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा अप्पेणं । आरंभेणं अप्पेणं समारंभेणं अपेणं आरंभसमारंभेणं वित्तिं कप्पेमाणा