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Uvavāiya Suttam Su. 38
activities, born, after being dead at a certain moment of the eternal time, among the celestial beings ?
Mahāvīra : Gautama ! In some cases, he is born among the celestial beings, but in some other cases, he is not so born.
गौतम : से केणटुणं भंते ! एवं वच्चइ - अत्थेगइआ देवें सिआ अत्येगइआ णो देवे सिआ ?
महावीर : गोयमा ! जे इमे जीवा गामागर - ण यर-निगमरायहाणि - खेड - कब्बड - मडंब - दोणमुह-पट्टणासम-संबाह-सण्णिवे से सु अकामतहाए अकामछुहाए अकामबंभचेरवातणं अकाम अण्हाण - कसीयायवदंसमसगसेअजल्लमल्ल पंकपरितावेणं अप्पतरो वा भुज्जतरो वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति । अप्पतरो वा भुज्जतरो वा कालं अप्पा परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णतरेसु वाणमंतरे देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति । तहि तेसिं गती तर्हि तेसि ठिती तर्हि तेसि उववाए पण्णत्ते ।
गौतम : हे प्रभो ! आप किस अभिप्राय ( कारण ) से इस प्रकार कहते हैं कि कई देव होते हैं और कई देव नहीं होते हैं ?
महावीर : गौतम ! जो ये जीव मोक्ष प्राप्ति की अभिलाषा के बिना या कर्म-क्षय के लक्ष्य के बिना ग्राम, आकर नमक आदि के उत्पत्ति स्थान, नगर - जिनमें कर नहीं लगता हो ऐसे शहर, खेट - धूल के परकोटों से युक्त गाँव, कर्बट - अति सामान्य कस्बे, द्रोणमुख - स्थल मार्ग अथवा जल मार्ग से युक्त स्थान, मडंब – आस-पास गाँव रहित बस्ती, पत्तन - बड़े नगर, जहाँ जल मार्ग अथवा स्थल मार्ग से जाना संभव हो या बन्दरगाह आश्रम - तापसों के आवास, निगम - व्यापारिक नगर, संवाह - पर्वत की तलहटी में बसे हुए गाँव, सन्निवेश—-झोपड़ियों से युक्त बस्ती या सार्थवाह तथा सेना आदि के ठहरने के स्थान में तृषा - प्यास, क्षुधा - भूख, ब्रह्मचर्य के पालन से,
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