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उववाइय सुत्तं सू० ३३
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अथवा चेष्टा मात्र से समझ लेने में विज्ञ थीं। जो अपने-अपने देश के रीति-रिवाज के अनुसार वेशभूषा आदि को धारण किये हुए थीं । उन चेटियों-दासियों के समूह से घिरी हुई, वर्षधरों - कृत नपुंसकों, कंचुकियों - अन्तःपुर के पहरेदारों एवं अन्तःपुर के प्रामाणिक रक्षकों के अधिकारियों से घिरी हुई अन्तःपुर से बाहर निकलीं ।
Then being attended by many ladies, Kubjās, Cetikās, Vāmanis, Vadabhis in attendance from different lands, viz., Barbara, Payāusa, Jona, Panhava, Isigina, Vāsina, Lāsiya, Lausa, Simhala, Damila, Araba, Pulanda, Pakkana, Bahala, Murunda, Sabara and Parasa, who always understood their mistress from expressions, thoughts and desires, who had put on their native dresses, and who in turn were surrounded by eunuchs, harem-guards and their superiors, they came out of the palace.
अंतेउराओ णिग्गच्छित्ता जेणेव पाडिएक्कजाणाई तेणेव उवागच्छंति । उवागच्छित्ता पाडिएक्कपाडिएकाई जत्ताभिमुहाई जुताई जाणाई दुरुहंति । दुरूहित्ता णिअगपरिआल सद्धिं संपरिवुडाओ चंपाए णयरीए चंपाए णयरीए मज्भंमज्भेणं णिग्गच्छंति । णिग्गच्छित्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छति ।
अन्तःपुर से निकल कर सुभद्रा आदि रानियाँ जहाँ उनके लिये अलगअलग रथ खड़े थे, वहाँ आई । वहाँ आकर अपने लिये पृथक्-पृथक् अवस्थित यात्राभिमुख — गमन करने को उद्यत जुते हुए रथों पर सवार हुईं । सवार होकर अपने परिवार - दासियों आदि से घिरी हुई चम्पा नगरी के बीचों-बीच में से होकर निकलीं । निकल कर जहाँ पूर्णभद्र चैत्य था, वहाँ आई ।
They came to their respective vehicles and took their seats on the vehicles which were ready to start. The whole train