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________________ Uvavaiya Suttam Si. 33 . उसके बाद (प्रभु महावीर के आगमन की सूचना मिलने पर ) सुभद्रा आदि प्रमुख देवियों-रानियों ने अन्तःपुर में स्नान किया ।...यावत् प्रायश्चित्त-दुःस्वप्नादि दोष-निवारण के लिये चन्दन, कुंकुम, दधि, अक्षत आदि से मंगल-विधान किया और वे रानियाँ सभी अलंकारों से विभूषित हुई। Then having known about the arrival of Bhagavān Mahāvira, the ladies of the harem, Subhadrā and others, took their bath, till performed atonements and dressed and decorated themselves in all manners. ___ बहूहिं खुज्जाहिं चेलाहिं वामणीहि वडभीहिं बब्बरीहिं पयाउसीयाहिं जोणिआहिं पण्हविआहिं इसिगिणिआहिं वासिइणिआहिं लासियाहिं लउसियाहिं सिंहलीहिं दमीलीहिं आरबीहिं पुलंदीहिं पक्कणीहिं वहलीहिं मुरुंडीहिं सबरियाहिं पारसीहि णाणादेसीविदेसपरिमंडिआहिं इंगियचिंतियपत्थियविजाणियाहिं सदेसणेवत्थग्गहियवसाहिं चेडियाचक्कवालवरिसधरकंचुइज्जमहत्तरगवंदपरिक्खित्ताओ अंतेउराओ णिग्गच्छंति । फिर बहुत सी देश-विदेश की दासियां, जिनमें अनेक कुबड़ी थीं, अनेक किरात देश की निवासिनी थी। अनेक बौनी थीं, अनेक दासियाँ ऐसी भी थीं, जिनकी कमर झुकी हुई थीं। उनमें अनेक दासियाँ वर्बर देश की, बकुश देश की, अनेक यूनान देश की, अनेक पह लव देश की, इसिन् देश की, अनेक चारूकिनिक देश की, लासक देश की, लकुश देश की, सिंहल देश की, अनेक द्रविड़ देश की, अनेक अरब देश की, अनेक पुलिन्द देश की, अनेक पक्कण देश की, अनेक बहल देश की, मुरूंड देश की, शबर देश की, पारस देश की,-इस प्रकार यों विभिन्न देशों की थीं, जो अपने अपने देश की वेश-भषा से परिमण्डित–सुसज्जित थीं। जो इंगित-मुख आदि के चिन्ह या चेष्टा, चिन्तित-सोची हुई बात एवं अभिलषित भाव को, संकेत
SR No.002229
Book TitleUvavaia Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rameshmuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size20 MB
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