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उववाइय सुत्तं सू० ३१
तयाऽणंतरं च णं ईसीदंताणं ईसीमत्ताणं ईसोतुगाणं ईसीउच्छंगविसालधवलदंताणं कंचणकोसीपविठ्ठदंताणं कंचणमणिरयणभूसियाणं वरपुरिसारोहगसंपउत्ताणं अट्ठसयं गयाणं पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठियं ।
तत्पश्चात् एक सौ आठ हाथी यथाक्रम आगे रवाना किये गये। वे कुछ-कुछ मदमस्त और उन्नत थे। उन हाथियों के दांत ( तरुण होने के कारण ) कुछ-कुछ बाहर निकले हुए थे। वे दांत पिछले भाग में कुछ विशाल थे। अति उज्ज्वल थे। उन दाँतों पर स्वर्ण के खोल चढ़े हुए थे। वे हाथी स्वर्ण, मणि और रत्नों से निर्मित आभूषणों से सुशोभित थे । उत्तम; सुयोग्य महावत उन हाथियों को चला रहे थे।
The horses were followed by 108 elephants. These elephants, partly infatuated and tall, had their tusks partly visible. There tusks were broad in the rear, white and wrapped in gold. The elephants were decorated with gold and precious stones.
तयाऽणंतरं सच्छत्ताणं सज्झयाणं सघंटाणं सपडागाणं सतोरणवराणं सणंदिघोसाणं सखिखिणीजालपरिक्खित्ताणं हेमवयचित्ततिणिसकणकणिजुत्तदारुआणं कालायससुकयणेमिजंतकम्माणं सुसिलिट्ठवत्तमंडलधुराणं आइण्णवरतुरगसुसंपउत्ताणं कुसलनरच्छेअसारहिसुसंपग्गहिआणं बत्तीसतोणपरिमंडिआणं सकंकडवडेंसकाणं सचावसरपहरणावरणभरिअजुद्धसज्जाणं अट्ठसयं रहाणं पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठियं ।
उसके पश्चात् एक सौ आठ रथ क्रमशः आगे रवाना किये गये। वे रथ, छत्र, ध्वज-गरूड़ आदि चिन्हों से युक्त झण्डे, पताका-चिन्हरहित झण्डे, घण्टे, सुन्दर तोरण, तथा नन्दिघोष-बारह प्रकार की ध्वनि से