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चैववाइय सुत्तं सू० ३१
159 तयाऽणंतरं बहवे डंडिणो मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिंछिणो हासकरा डमरकरा चाटुकरा वादकरा कंदप्पकरा दवकरा कोक्कुइआ किट्टिकरा वायंता गायंता हसंता णच्चंता भासंता सावेंता रक्खंता आलोकं च करेमाणा जय-जय-सइं पउंजमाणा पुरओ अहाणुपुब्वीए संपट्ठिा।
उसके बाद बहुत से दण्डी-दण्ड धारण करने वाले, मुण्डी-मुण्डे हुए सिर वाले, शिखण्डी--शिखाधारी, जटी-जटाधारी, पिच्छी--मोरपंख
आदि धारण किये हुए, हासकर-हास-परिहास करने वाले, डमरकरहुल्लड़ बाजी करने वाले, दवकर-मजाक करने वाले, चाटुकार--खुशामद करने वाले या प्रिय वचन बोलने वाले, वादकर--विवाद करने वाले, कन्दर्पकर-कामुक चेष्टाएँ करने वाले, शगारी चेष्टाएँ करने वाले, कौत्कुचिक-भाण्ड आदि, क्रीड़ाकर--खेल तमाशा करने वाले, इनमें से कतिपय बजाते हुए, तालियाँ पीटते हुए, वाद्य बजाते हुए, गाते हुए, हँसते हुए, नाचते हुए, बोलते हुए, सुनाते हुए, रक्षा करते हुए, अवलोकन करते हुए, एवं जय शब्द का प्रयोग करते हुए यथाक्रम आगे रवाना हुए।
___Many with clubs, many with tonsure of head, many with a bunch of hairs on the crest, many with matted hairs, many holding peacock feathers, many jesters, merrymakers, admirers, jokers, dialoguers, exciters, bards and many others, some playing on instruments, some singing, laughing, dancing, gossiping, haranging (talking ), protecting, viewing or simply shouting.
तयाऽणतरं जच्चाणं तरमल्लिहायणाणं हरिमेलामउल मल्लियच्छाणं चंचुच्चियललिअपुलिअचलचवलचंचलगईणं लंघणवग्गणधावणधोरणतिवईजइणसिक्खिअगईणं ललंतलामगललायवरभूस