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Uvaväiya Suttaṁ Sü. 30
कर लाये हुए यान देखे । चम्पा नगरी की बाहर से, भीतर से सफाई की जा चुकी है, वह नगरी सुगन्ध से महक रही है, यह देखा।
Then the Chief Army Officer inspected the elephant meant for the use of king Kūņika, son of Bhambhasāra ; he inspected the fourfold army, the vehicles for the use of the ladies of the harem, and also the city of Campā duly cleaned. and sprinkled with fragrant water both inside and outside.
पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिए पीअमणे जाव...हिअए जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता करयल जाव...एवं वयासी -कप्पिए णं देवाणुप्पियाणं आभिसिक्के हत्थिरयणे हयगयपवरजोहकलिआ य . चाउरंगिणी सेणा सण्णाहिया सुभद्दापमुहाणं च देवीणं बाहिरियाए - अ उवट्ठाणसालाए पाडिएक्कपाडिएक्काइ जत्ताभिमुहाई जुत्ताइं जाणाई उवट्ठावियाई चंपा णयरी सब्भिंतर-बाहिरिया आसित्त जाव... गंधवट्टिभूआ कया। तं निज्जंतु णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं अभिवंदआ ॥३०॥
यह सब देखकर वह मन में हर्षित, संतुष्ट, आनन्दित तथा प्रसन्न हुआ...यावत् हृदय खिल उठा। जहां भंभसार का पुत्र कूणिक राजा था वह वहाँ आया। आकर अंजलि बाँधे-हाथ जोड़े...यावत् इस प्रकार निवेदन किया-“हे देवानुप्रिय ! ( सौम्यचेता राजन् ! ) आभिषेक्य हस्तिरत्न-प्रधान हाथी तैयार है। घोड़े, हाथी, रथ, उत्तम योद्धाओं से कलित-सुशोभित या परिगठित चतुरंगिणी सेना सुसज्जित है। सुभद्रा आदि प्रमुख देवियों-रानियों के लिये, प्रत्येक के लिये अलग-अलग जुते हुए यात्राभिमुख-गमन करने को उद्यत, बहिर्वों सभा भवन के समीप उपस्थापित-तैयार है। चम्पा नगरी की भीतर से, बाहर से सफाई करवा दी गई है....यावत् वह ( चम्पानगरी ) सुगन्ध से महक रही