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उववाइय सुत्तं सू० ३१ है । तो हे देवानप्रिय ! ( सौम्यचेता राजन् ! ) अब आप श्रमण भगवान् महावीर की अभिवन्दना हेतु प्रस्थान करें"॥३०॥
Having completed his inspection, he was delighted and pleased. He was immensely happy, till his heart expanded in glee. He came back to king Kūņika, the son of Bhambhasāra, and with folded palms, till submitted unto him as follows-"Oh beloved of the gods! The best elephant is ready for Your Majesty's ride. The fourfold army stands ready' to follow thee. The vehicles for the use of the ladies stand ready at the exterior court. The city of Campă has been duly cleaned and sprinkled with pure water, till filled with the smoke of delightful incences. Now, may the journey of Your Majesty commence to pay homage and obeisance to Bhagavān Mahāvīra.” 30
कणिक का स्नान-मर्दनादि
Kunika's bath, exercises etc.
तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउअस्स अंतिए एअमट्ठ सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठ जाव... हिअए जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छइत्ता अट्टसालं अणुपविसइ। अणु• पविसित्ता अणेगवायामजोग्गवग्गणवामद्दणमल्लजुद्ध करणेहिं संते परिस्ते।
तदनन्तर भंभसार के पुत्र राजा कूणिक सेनानायक से यह बात सुनकर, अवधारण कर प्रसन्न ( हर्षित ) एवं परितुष्ट हुआ। यावत्... हृदय खिल उठा। जहाँ व्यायामशाला थी, वहाँ आया, आकर व्यायाम शाला में प्रवेश किया। प्रवेश कर अनेक प्रकार से व्यायाम किया। अंगों को खींचना, उछलना-कूदना, परस्पर के अंगों को मोड़ना, कुश्ती