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उववायत्तं सू० ३०
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beloved of the gods! Please arrange to clean and sprinkle with pure water both inside and outside the city of Campā, till report to me the compliance of my order."
तएण से णयरगुत्तीए बलवाउअस्स एअमट्ठ आणाए विणणं ( वयणं ) पडिसुणेइ । पडिसुणित्ता चंप णर्यारि सब्भिंतर बाहिरियं आसित्त जाव...कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ । उवागच्छित्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणइ ।
तदनन्तर नगरपाल — कोतवाल ने सेनानायक का आदेश - वचन - आज्ञावचन विनयपूर्वक सुना । सुनकर चम्पा नगरी के भीतर और बाहर से पानी का छिड़काव, सफाई आदि... यावत् करवा कर, वह जहां सेनानायक था, वहाँ आया। आकर आज्ञा का पालन किये जा चुकने की सूचना दी।
The keeper of the municipal services duly received the order and carried it out. He had the city (both inside and outside) duly cleaned and sprinkled with pure water and having done so, he reported it to the Chief Army Officer,
तए णं से बलवाउए कोणिअस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स अभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पिअं पासइ । हयगय जाव.... ' सण्णा हिअं पासइ । सुभद्दापमुहाणं देवीणं पडिजाणाई उवट्टविआई पासइ । चंप णयरिं सब्भिंतर जाव... गंधवट्टिभूअं कथं पास |
इसके पश्चात् सेनानायक ने भंभसार - पुत्र राजा कूणिक के अभिषेक्य हस्तिरत्न- प्रधान हाथी को सजा हुआ देखा। घोड़े हाथी... यावत् रथ उत्तम योद्धाओं से परिगठित चतुरंगिणी सेना को सजी हुई देखी । सुभद्रा आदि प्रमुख देवियों - रानियों के लिये उपस्थापित - जुते हुए - तैयार