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________________ 141 Also prepare the four-fold army with the pick from infantry, cavalry, elephants and chariots. Having done so, please report उववाये सुतं सू० ३० ༢༠ ܙܕ to me.' तए णं से हत्थिवाउए बलवाउअस्स एअमट्ठ सोच्चा आणाए विणणं वयणं पडिसुणे । तब महावत ने सेनानायक की बात सुनी उसका आदेश विनयपूर्वक स्वीकार किया । The keeper of the elephants heard this order and accepted it with due respect. पडिसुणित्ता छेआयरियउ व एसमइविकपणा - विकप्पेहिं सुणिउ - हि उज्जलणेवत्थहत्यपरिवत्थि । सुसज्जं धम्मि असण्णद्धबद्धकवइयउप्पीलियकच्छवच्छ गेवे यबद्ध गलवरभूसणविरायंतं अहियते - अजुत्तं सललिअवरकण्णपूरविराइयं पलंबउच्चूलमहुअरकयंध यारं चित्तपरिच्छेअ-पच्छयं । पहरणावरण भरिअजुद्धसज्जं सच्छत्तं सज्झयं सङ्घटं सपडागं पंचामेलअपरिमंडिआभिरामं ओसारियजमलजुअलघंटं विज्जुपणद्धं व काल मेहं उप्पाइयपव्वयं व चंकमंतं मत्तं गुलगुलंत मणपवणजइणवेगं भीमं संगामियाओज्जं आभिसेवकं हत्थिरयणं पंडिकप्पs | पडिकप्पेत्ता हयगयरहृपवरजोहकलिअं चाउरंगिणि सेणं सण्णा हेइ | सण्णाहित्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ । उवागच्छित्ता एअमाणत्तिअं पच्चपिणइ । वैसा कर - आदेश स्वीकार कर उस महावत ने छेकाचार्य - कलाचार्य . से उपदेश -- शिक्षा प्राप्त करने से जिसकी बुद्धि विविध कल्पनाओं और सर्जनाओं - नव निर्माण में अति निपुण अर्थात् अत्यन्त उर्वर थी उस
SR No.002229
Book TitleUvavaia Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rameshmuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size20 MB
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