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Uvavaiya Suttam Su. 30 श्रेष्ठ हाथी को चमकीले वस्त्र, वेषभूषा आदि के द्वारा शीघू अलंकृत-सजा दिया। उस उत्तम हाथी को सुन्दर ढंग से सजाया। उसका धार्मिक उत्सव के अनुसार शृङ्गार किया। उसके कवच लगाया, बांधने की रस्सी को उसके वक्षःस्थल से कसा गया। उसके गले में मालाएँ-हार बाँधे, तथा उसे उत्तम आभूषण पहनाये। ( वह अत्यन्त तेजस्वी-तेजोमय दीखने लगा।) सूक्ष्म लालित्ययुक्त कर्णपूरों-कानों के आभूषणों द्वारा उसे विराजित-सुसज्जित किया। लटकते हुए लम्बे-लम्बे झूलों एवं मद की गन्ध से आकर्षित हुए भ्रमरों के कारण वहाँ अन्धकार जैसा प्रतीत होता था। उस झूले पर बेल-टे कढ़ा प्रच्छद-सुन्दर छोटा-सा आच्छादक वस्त्र डाला गया। शस्त्र एवं कवचयुक्त वह उत्तम हाथी युद्ध के लिये सज्जित जैसा प्रतीत होता था। उस हाथी के छत्र, ध्वजा, घंटा और पताका इन सभी को यथास्थान नियोजित किये गये। फिर उसे ( मस्तक को ) पाँच कलंगियों से परिमण्डित--सुसज्जित कर उसे सुन्दर बनाया। उसके दोनों परिपार्श्व में समरूप से दो घंटियाँ लटकाई गई। वह ( हाथी ) बिजली सहित काले-बादल जैसा प्रतीत होता था, अर्थात् दिखाई देता था। वह हाथी अपने बड़े डील-डौल के कारण ऐसा दिखाई देता था मानों अकस्मात् कोई चलता-फिरता हुआ पर्वत उत्पन्न हो गया हो। वह मदोन्मत्त था। बड़े बादल की तरह वह गुंल-गुल शब्दों के द्वारा अपने गम्भीर स्वर में मानों गरजता था। उस हाथी की गति (चाल) मन एवं पवन की गति या वेग को भी पराजित करने वाली थी। विशालशरीर एवं प्रचण्ड-शक्ति के कारण वह ( उत्तम हाथी ) भयावह जैसा लगता था। उस संग्राम योग्य -वीर-वेश से युक्त, आभिषेक्य हस्तिरत्न को महावत ने सुसज्जित कर तैयार किया। वैसा कर-उसे तैयार कर घोड़े, हाथी, रथ एवं श्रेष्ठ योद्धाओं से परिगठित चतुरंगिणी सेना को तैयार किया। वैसा कर फिर वह महावत जहाँ सेनानायक था, वहाँ आया। आकर मुझे सूचित करो 'आज्ञा का अनुपालन हो गया है' निवेदित किया।
The said keeper of the elephants who had his training under expert decorators used his knowledge as well as his own imagination and soon made ready the elephant for the king's ride. He decorated the elephant in a beautiful manner. Then he