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उववाइय सुत्तं सू० २७०
127 diverse robes and dresses, fragrant cosmetics and garlands, had grace and fortune till worshipped him with folded. palms. 26
चम्पानगरी में लोगवार्ता
Popular Gossip in the City of Campa तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपाए णयरीए सिंघाडग-तिग-चउक्कचच्चर-चउम्मुह-महापहपहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवूहे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी ति वा जणुक्कलिया इ वा जणसण्णिवाए इ वा ।
उस काल ( वर्तमान अवसर्पिणी ) उस समय ( चतुर्थ आरे के अन्त ) में चम्पा नगरी के सिंघांटों--सिंगाड़े के से आकार वाले तिकोने स्थानों, त्रिकों-जहां तीन मार्ग मिलते हैं, ऐसे तिराहों, चतुष्कोंचौक, जहाँ चार रास्ते मिलते हैं ऐसे चौराहों, चत्वरों-जहाँ से चार से अधिक रास्ते मिलते हैं ऐसे स्थानों, चतुर्मुखों-चारों ओर मुख अथवा चार द्वार युक्त देवकुलों, राजमार्गों और गलियों में मनुष्यों की बहुत ही आवाज आ रही थी, वहाँ बहुत से लोग शब्द कर रहे थे, परस्पर में कह रहे थे, मन्द स्वर में बात कर रहे थे, लोगों का बड़ा जमघट लगा हुआ था, वे बोल रहे थे। उनके वार्तालाप की कल-कल-मनोज्ञ ध्वनि सुनाई देती थी। लोगों की मानों एक लहर-सी उमड़ी आ रही थी, छोटी-छोटी टोलियों में लोग घूम रहे थे, एक स्थान से हटकर दूसरे स्थान पर इकट्ठ हो रहे थे।
In that period, at that time, there was a huge uproar of a large gossip in triangular parks, at places where three roads.
met, in the squares, at places where four roads met, in the temples, on the highways, in lanes and bye-lanes, in the market place of the city of Campā. All these places were thronged