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उववाइय सुत्तं सू० २६
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वैमानिक देवों का अवतरण
The Descent of Vaimänika Gods
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स वेमाणिया देवा अंतियं पाउ भवित्था । सोह-म्मीसाण सणकुमार माहिद-बंभलतक-महासुक्क-सहस्साराणय-पाणयारण-अच्चुयवई पहिट्ठा देवा ।
उस काल ( वर्तमान अवसर्पिणी ) उस समय ( चतुर्थ आरे के अन्त ) में श्रमण भगवान् महावीर के सान्निध्य में सौधर्म, ईशान, सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्म, लान्तक, महाशुक्र, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण और अच्युत ये वैमानिक देवलोक के अधिपति इन्द्र अत्यधिक प्रसन्नतापूर्वक प्रादुर्भूतप्रगट हुए ।
In that period, at that time, many Vaimānika gods descended to wait upon Bhagavan Mahāvīra. They came down from their heavenly abodes, viz., Saudharma, Isāna, Sanatkumāra, Māhendra, Brahma, Lāntaka, Mahāśukra, Sahasrāra, ānata, Prānata, ārana and Acyuta. They appeared to be immensely happy.
जिण दंसणुस्सुगागमण - जणिय हासा पालक- पुप्फक - सोमणस - सिरिवच्छ-णंदिआवंत्त-कामगम- पीइगम-मणोगम - विमल - सव्वओभद्द - णामधिज्जेहिं विमाणेहिं ओइण्णा वंदका जिणिदं । मिग-महिस- वराहछगल-दद्द् ुर-हय-गयवइ-भुअग-खग्ग-उसभंक - विडिम - पागडिय - चिंधमउडा पसिढिल-वर-मउड - तिरीडधारी कुंडल - उज्जोविआणणा मउडदित्त - सिरया | रत्ताभा पउमपम्हगोरा सेया सुभ-वण्ण-गंध-गंध-फासा उत्तम-विउब्विणो विविह- वत्थ- गंध - मल्लधरा महिडिआ महज्जुतिआ जाव... पंजलिउडा पज्जुवासंति ||२६||