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Uvaraiya Suttam Su. 24
In that period, at that time, many Vāņavyantara gods descended to wait upon Bhagavān Mahāvīra. They were Pisacas, Bhātas, Yaksas, Raksasas, Kinnaras, Kimpurusas, Mabākāyas, Mahoragas, Gandharvas who were experts in
music and dramatics, Anapannikas, Panapannikas, Rsivadikas, 'Bhutavadikas, Kranditas, Mahākranditas, Kus mandas . and Prayatas. .
चंचल-चवल-चित्त-कीलण-दवप्पिआ गंभीर-हसिअ-भणिअ-पीअगीअ-णच्चणरई वणमाला-मेल-मउड-कुंडल-सच्छंद-विउब्विआ-भरणचारु-विभूसणधरा सव्वोउय-सुरभि-कुसुमसुरइय-पलंब - सोभंत - कंत - विअसंत-चित्त-वणमाल-रइअ-वच्छा कामगमी कामरूवधारी णाणाविहवण्ण-राग-वर-वत्थ-चित्त-चिल्लिय-णियंसणा विविह - देसी - णेवत्थ - ग्गहिअ-वेसा पमुइअ-कंदप्प-कलह-केलि-कोलाहल-प्पिआ हास - बोल - बहुला अणेग-मणि-रयण-विविह-णिजुत्त - विचित्त - चिधगया सुरूवा महिड्डिआ जाव....पज्जुवासंति ।।२४॥ .
वे देव अति चंचल · चित्तयुक्त, क्रीड़ाप्रिय और परिहासप्रिय थे। उन्हें गम्भीर हास्य और वैसी ही अट्टहासपूर्ण वाणी प्रिय थी। वे गीत एवं नृत्य में अनुरक्त थे। वे देव उत्तर वैक्रिय के द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार निर्मित वनमाला--सभी ऋतुओं में विकसित होने वाले पुष्पों से बनी मालाएँ, फूलों का सेहरा, अथवा कलंगी, मुकुट, कुण्डल आदि आभूषणों के द्वारा सुन्दर रूप से सजे हुए या पहने हुए थे। सभी ऋतुओं में खिलने वाले, सुगन्धित फूलों से सुन्दर ढंग से बनी हुई लम्बी, घुटनों तक लटकती हुई, सुशोभित होती हुई, सुन्दर, विकसित वनमालाओं द्वारा उन देवों के वक्षःस्थल बड़े मनोज्ञ--आह लादकारी या सुन्दर प्रतीत होते थे । वे अपनी इच्छानुसार जहाँ कहीं पर जाने का सामर्थ्य रखते थे और यथेच्छ रूप धारण करने वाले थे। वे भिन्न-भिन्न रंग के उत्तम, तरह-तरह के चमकीले-भड़कीले वस्त्र धारण किये हुए थे। अनेक देशों की वेशभूषाओं के अनुरूप उन्होंने तरह-तरह की पोशाकें पहन रखी थीं। वे