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उववाइय सुत्तं सू० २१
restless sense-organs. They move at a very quick pace. This disturbs the water which looks as if dancing, flowing from one place to another, whirling and restless. The worldly ocean has rocks such as sadness, fear, gloom, sorrow and falsehood. This is made uncrossable by the bondage of karma which comes down from an endless past, and also by the dirt of misery.
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अमर-नर-तोरिय-निरय- गइ - गमण - कुडिल - परिवत्त-विउल- वेलं चउरंत-महंत-मणवदग्रां रुद्दं संसारसागरं भीमदरिसणिज्जं तरंति धीईघणिअ- निष्पकंपेण तुरिय-चवलं संवर-वेरग्ग-तुंग-कूवय सुसंपउत्तेणं गाण - सित - विमल- मूसिएणं सम्मत्त - विसुद्ध - लद्ध - णिज्जामएणं धीरा संजमपोएण सीलकलिआ ।
वह ( भव सागर ) देव गति, मनुष्य गति, तिर्थ च गति और नरक गति में गमन रूप कुटिल परिवर्त- -जल के छोटे-छोटे गोलाकार घुमाव ( भंवर ) से युक्त है, विपुल ज्वारवाला हैं । चार गतियों के रूप में इसके चार किनारे हैं, दिशाएँ हैं । यह विशाल, अगाध, रौद्र तथा भयावह दिखाई देने वाला है । इस संसार - समुद्र को वे शील सम्पन्न अनगार - श्रमण संयम रूप जहाज के द्वारा शीघ्रतापूर्वक पार कर रहे थे । वह संयम रूप जहाज धैर्य, सहिष्णुता रूप रज्जू - रस्सी के बन्धन से बँधा होने के कारण निष्प्रकम्प – सर्वथा स्थिर था । संवर - हिंसा मृषावाद आदि से विरति, वैराग्य-संसार से विरक्ति रूप उच्च कूपक — ऊँचे मस्तूल स्तम्भ विशेष से संयुक्त था । उस संयम रूप पोत में ज्ञान रूप निर्मल वस्त्र का ऊँचा पाल तना हुआ था । विशुद्ध सम्यक्त्व — सम्यग्दर्शन रूप नियामक - कणधार उसे प्राप्त हुआ था ।
The ocean has devious turns/tides which are migrations to and from infernal life, animal life, human life and life in heaven, all together giving the impression of a tidal bore. This worldly ocean has four forms of existence,
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