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Uvaraiya Suttam Sa. 21
और बन्धन रूप विशाले व विपुल कल्लोलें उठ रही हैं, जो करुण या शोकपूर्ण विलाप और लोभ की कल-कल करती हुई तीव्र-ध्वनि से युक्त है।
They were afraid and alarmed of the world which is like an ocean full of severe misery with its non-ending and restless water which arises out of birth, old-age and death. In this water which is misery, there are waves establishing and breaking relations; these waves spread through thought-process. There are very deep waves of slaughter and bondage and they emit a terrible sound of attachment and lamentation..
अवमाणण-फेण-तिव्व-खिसण-पुलपुल-प्पभूअ-रोग-वेअण- परिभव विणिवाय-फरुस-धरिसणा-समावडिअ-कढिण-कम्म-पत्थर-तरंग - रंगतनिच्च-मच्चुभय तोअपठे-कसाय-पायाल-संकुलं ।
संसार-सागर में भरे हुए दुःख रूप.जल का ऊपरी भाग अवमाननातिरस्कार रूप झागों से ढंका है। क्योंकि तीव्र निन्दा, निरन्तर होने वाली
रोग-वेदना, औरों से प्राप्त होता अपमान, विनाश, कटुतापूर्ण वचन द्वारा निर्भर्त्सना, तत्प्रतिबद्ध ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय आदि आठ कर्मों के प्रगाढ़ उदय रूप कठोर पत्थरों की टक्कर से उठती हुई संयोग-वियोग रूप लहरों से वह ( भव सागर ) परिव्याप्त है। वह तोयपृष्ठ-जल का ऊपरी भाग नित्य मत्यु-भय रूप है। यह संसार रूप समुद्र कषाय-क्रोध, मान, माया और लोभ रूप पाताल-कलशों ( तलभूमि ) से परिव्याप्त है।
The upper surface of this water which is misery in this worldly ocean is full of constant terror of death. It is full of foam made from scolding. This is generated by waves (which establish and break relations) crushing against the hard rock