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उववाइय सुत्तं सू० २०
विउस्सग्गे गोअकम्मविउस्सग्गे अंतरायकम्मविउस्सग्गे । से तं कम्मविसग्गे । से तं भाव विउस्सग्गे ।। २० ।।
वह कर्म व्युत्सर्ग क्या है ? वह कितने प्रकार का है ?
कर्म व्युत्सर्ग आठ प्रकार का बतलाया गया है, वह इस प्रकार है : (१) ज्ञानावरणीय कर्म व्युत्सर्ग- आत्मा के ज्ञानगुण के आवरण रूप कर्मपुद्गलों का जीव प्रदेशों के साथ बंधने के कारणों का त्याग, (२) दर्शनावरणीय कर्म व्युत्सर्ग- आत्मा के सामान्य ज्ञान गुण के आवरण रूप कर्म पुद्गलों का जीव प्रदेशों के साथ बंधने के कारणों का त्याग, (३) वेदनीय कर्म व्युत्सर्ग— साता-सुख, असाता दुःख रूप वेदना के हेतुभूत कर्म पुद्गलों का आत्म प्रदेशों के साथ बद्ध होने के कारणों का त्याग, (४) मोहनीय कर्म व्युत्सर्ग - आत्मा के स्वभाव रमण स्वप्रतीति रूप गुण के बाधक कर्म पुद्गलों के जीव- प्रदेशों के साथ आबद्ध होने के कारणों का त्याग, (५) आयुष्यकर्म व्युत्सर्ग- किसी भव में आत्मा को रोक रखने वाले आयुष्यकर्म पुद्गलों का जीव प्रदेशों के साथ बद्ध होने के कारणों का त्याग, ( ६ ) नामकर्म व्युत्सर्ग- आत्मा के अमूर्तत्व गुण को विकृत करने वाले कर्म पुद्गलों का जीव प्रदेशों के साथ आबद्ध होने वाले हेतुओं का त्याग, ( ७ ) गोत्रकर्म व्युत्सर्ग- - आत्मा के अगुरु - लघुत्व रूप गुण को विकृत करने वाले कर्म पुद्गलों के आत्म प्रदेशों के साथ बंधने के कारणों का त्याग, (८) अन्तराय कर्म व्युत्सर्ग- -- आत्मा के शक्ति रूप गुण के अवरोधक कर्म पुद्गलों का आत्म-प्रदेशों के साथ बँधने के कारणों का त्याग । इस प्रकार यह कर्म- व्युत्सर्ग का स्वरूप कहा गया है । इस प्रकार यह व्युत्सर्ग का वर्णन संपन्न होता है । 112011
What is renunciation of karma ?
It has eight types, viz., renunciation of karma enshrouding knowledge, of karma enshrouding faith, of karma enshrouding conduct, of karma causing delusion, of karma giving a lifespan, of karma giving a name, of karma giving a lineage, and of karma causing obstruction. Such is renunciation of karma. Such is renunciation of everything except the soul. 20