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________________ 106 Uvavaiya Suttam So. 20 से कि तं संसार-विउस्सग्गे ? संसार-विउस्सग्गे चविहे पण्णत्ते । तं जहा–णेरइअसंसारविउस्सग्गे तिरियसंसारविउस्सग्गे मणुअसंसारविउस्सग्गे देवसंसारविउस्सग्गे। से तं संसारविउस्सग्गे । वह संसार-व्युत्सर्ग क्या है ? वह कितने प्रकार का हैं? .. संसार व्युत्सर्ग चार प्रकार का बतलाया गया है, वह इस प्रकार है : (१) नैरयिक संसार व्युत्सर्ग-नरक गति. बँधने के चार ( महारम्भ, महापरिग्रह, मांसाहार, पंचेन्द्रियवध ) कारणों का त्याग, (२) तिर्यक् संसार व्युत्सर्ग-तिर्यञ्च गति बंधने के चार ( माया करने से, गूढ़ माया करने से, असत्य बोलने से, खोटे तोल-माप करने से ) कारणों का त्याग, (३) मनुष्य संसार व्युत्सर्ग-मनुष्य गति बंधने के चार ( प्रकृति भद्रता, प्रकृति विनीतता, अनुकम्पा, ईष्या का अभाव ) कारणों का त्याग, (४) देव संसार व्युत्सर्ग-देव गति बंधने के चार ( सरार्ग संयम, संयमासंयम, बालतप, अकाम निर्जरा के कारणों का त्याग । इस प्रकार यह संसार व्युत्सर्ग का स्वरूप कहा गया है। What is renunciation of the world ? . It has four types, viz., renunciation of bondage giving life in hell, renunciation of bondage giving life in the world of animals, renunciation of bondage giving lite in the world of human beings and renunciation of bondage giving life in one of the heavens. से किं तं कम्मविउस्सग्गे ? कम्मविउस्सग्गे अट्ठविहे पण्णत्ते । तं जहा-णाणावरणिज्जकम्मविउस्सग्गे दरिसणावरणिज्जकम्मविउस्सग्गे वेअणीअकम्म - विउस्सग्गे मोहणीयकम्मविउस्सग्गे आऊअकम्मविउस्सग्गे णामकम्म
SR No.002229
Book TitleUvavaia Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rameshmuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size20 MB
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