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उववाइय सुत्तं सू० २०
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(३) उपदेश रुचि - धर्मोपदेश सुनने में रुचि होना अथवा साधु या ज्ञानी के उपदेश में रुचि होना, (४) सूत्ररुचि - आगम-साहित्य से तत्त्वरुचि होना, अथवा आगमों में श्रद्धा - विश्वास होना ।
Meditation with a thought of dharma has four expressions, viz., habitual respect for the order of the Jinas, respect for religion, respect for the discourses by the monks and respect for the Agamas.
धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंबणा पण्णत्ता ।
वायणा पुच्छणा परियट्टणा धम्मकहा ।
तं जहा
स्वरूप, और
धर्मध्यान के चार आलम्बन अर्थात् धर्मध्यान रूपी प्रासाद के शिखर पर चढ़ने के लिये या सहायता के लिये चार साधन - आश्रय कहे गये हैं । जो इस प्रकार हैं: ( १ ) वाचना - जीव, अजीव के यथार्थ सत्य सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने वाले आगम, ग्रन्थ आदि का पठन करना, (२) पृच्छना - पठित, ज्ञात विषय में स्पष्टीकरण हेतु जिज्ञासा भाव से अपने मन में ऊहापोह करना, ज्ञानी पुरुषों से पूछना, शंका-समाधान पाने का प्रयास करना, (३) परिवर्तना - सीखे हुए, जाने हुए ज्ञान की पुनरावृत्ति करना, ज्ञात विषय के सम्बन्ध में मानसिक एवं वाचिक वृत्ति संलग्न करना, (४) धर्मकथा - धार्मिक उपदेशप्रद कथाओं, श्रुत-धर्म की व्याख्याओं, महापुरुषों के प्रेरक-प्रसंगों एवं जीवन-वृत्तों द्वारा मनोऽनुशासन और आत्मानुशासन में गतिशील होना ।
There are four aids to the meditation with a thought of dharma, viz., to read the Agamas, to acquire true knowledge about fundamentals, to resolve doubts/difficulties through questions and to repeat very often what has been learnt and hear discourses on spiritual themes and act accordingly.