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उववाइय सुत्तं सू० २०
से किं तं झाणे?
झाणे चउन्विहे पण्णत्ते । तं जहा—अट्टज्माणे रुद्दज्झाणे धम्मज्झाणे सुक्कज्झाणे।
वह ध्यान क्या है ? उसके कौन-कौन से भेद हैं ?
ध्यान चार प्रकार का बतलाया गया है। वह इस प्रकार है : (१) आर्त्त ध्यान-राग आदि भावना से अनुरंजित ध्यान, (२) रौद्र ध्यान-हिंसा, मषा आदि भावना से . अनुप्रेरित ध्यान, (३) धर्म ध्यान-धार्मिक-भावना से अनुप्राणित ध्यान, (४) शुक्ल ध्यान-जो जन्म-मृत्यु रूप शोक का क्षय करे अथवा शुभ-अशुभ से अतीत निर्मल आत्मोन्मुख शुद्ध ध्यान । इस प्रकार यह ध्यान का स्वरूप कहा गया है।
What is meditation ?
It has four types, viz., meditation with deep attachment or meditation of the wretched/ distressed called ārta-dhyāna, meditation with a thought of violence called raudra-dhyana,
meditation with a thought of dharma called dharma-dhyāna, and pure meditation (free from all these ) called sukla-dhyāna. .
अट्टज्माणे चउविहे पण्णत्ते । तं जहा--अमणुण्ण-संपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओगस्संति-समण्णागए आवि भवइ । मणुण्णसंपओग-संपंउत्ते तस्स. · अविप्पओगस्सति-समण्णाए आवि भवइ । आयंक-संपओग-संपउत्ते तस्स विप्पओगस्सति-समण्णाए आवि भवइ । परि - जूसिय - काम-भोग-संपओग-संपउत्ते तस्स अविप्पओगस्सतिसमण्णागए आवि भवइ ।
आर्त ध्यान चार प्रकार का बतलाया गया है जो इस प्रकार है: (१) मन को प्रिय नहीं लगने वाले साधनों के प्राप्त होने पर उनके वियोग