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Uvavaiya Suttarm Sa. 20 श्रमणी का वैयावत्य, (८) कुल-गच्छ, सम्प्रदाय का वैयावत्य, (९) गणकुलों के समुदाय का वैयावृत्य, (१०) संघ-गणों के समुदाय का वैयावृत्य, इस प्रकार यह वैयावृत्य का स्वरूप कहा गया है।
What is it to render service ?
It has ten types, viz., service to the acārya, the upādhyāya, a newly initiated monk, an ailing monk, to one who is undergoing a hard penance, a senior monk, a fellow monk/ nun, to kula, gana and sangha. (Several gacchas make a kula, several kulas make a gana and several ganas make a sangha.)
· से किं तं सज्झाए ?
सज्झाए पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा - वायणा पडिपुच्छणा परिमट्टणा अणुप्पेहा धम्मकहा। से.तं सज्झाए ।
वह स्वाध्याय क्या है ? उसके कितने भेद हैं ?
स्वाध्याय पांच प्रकार का बतलाया गया है। वह इस प्रकार है : (१) वाचना -यथाविधि यथासमय आगम साहित्य और आध्यात्मिक ग्रन्थों का अध्ययन, अध्यापन, (२) प्रतिपृच्छना-पठित विषय में विशेष रूप से स्पष्टीकरण हेतु पूछना, शंका समाधान करना, (३) परिवर्तना-पठित ज्ञान की पुनरावृत्ति करना। जो भी सीखा है, उसे बार-बार दुहराना, (४) अनुप्रेक्षा-आगमानुसारी और आत्मानुसारी चिन्तन-मनन करना, (५) धर्मकथा-श्रुतधर्म और चारित्रधर्म की व्याख्या करना, उनकी विवेचना करना। इस प्रकार यह स्वाध्याय का स्वरूप कहा गया है।
What is the reading of texts, etc. ?
It has five types, viz., to read/teach the sūtras, to resolve doubt or difficulty, to repeat what has already been learnt, to ruminate over anything connected with the sūtras, to give discourse over spiritual themes.