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________________ उववाइय सुत्तं सू० १९ 75 lives on food prepared from old grains, or one who lives on food which is cheap ( mean), or one who lives on the remnant of cheap food, or one who lives on coarse food. Such is renunciation of taste. से कि तं कायकिलेसे ? कायकिलेसे अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा--ठाणट्ठितिए ठाणाइए उक्कुडु- आसणिए पडिमट्ठाई वीरासणिए नेसज्जिए दंडायए लउडसाई आयावए अवाउडए अकंडुअए अणिठ्ठहए सव्व-गायपरिकम्म-विभूस-विप्प-मुक्के । सेतं कायकिलेसे । वह कायक्लेश क्या है ? वह कितने प्रकार का है ? कायक्लेश अनेक प्रकार का बतलाया गया है, जो इस प्रकार है : स्थान स्थितिक-एक ही तरह से खड़े या एक ही आसन में बैठे रहना। उत्कुटुकासनिक-पुट्ठों को भूमि पर न टिकाते हुए केवल पांवों के बल पर ही बैठने की स्थिति में सुस्थिर रहना और दोनों हाथों की अंजलि बांधे रखना । प्रतिमास्थायी -- मासिक आदि बारह प्रतिमाएं स्वीकार करना। वीरांसनिक-भूमि पर. पैर टिकाकर सिंहासन के समान बैठने की स्थिति में रहना। अर्थात् जैसे कोई व्यक्ति सिंहासन पर बैठा हुआ हो, उसके नीचे से सिंहासन निकाल लेने पर भी वैसी ही स्थिति में सुस्थिर रहना। नैषद्यिक -पलाथी लगाकर या पुढे टिकाकर बैठना। आतापकसूर्य आदि के ताप से शरीर को आतापना पहुँचाना। अप्रावृतक-शरीर को कपड़े आदि से नहीं ढंकना। अकण्डूयक- खुजली चलने पर भी शरीर को नहीं खुजलाना। अनिष्ठीवक-थूक आने पर भी नहीं थूकना। सर्वगात्र परिकर्म विभूआ विप्रमुक्त-शरीर के सभी संस्कार, सज्जा-विभूषा आदि से विमुक्त रहना। What is hardship of the body ? It has many types, viz., remaining fixed (unmoved )
SR No.002229
Book TitleUvavaia Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rameshmuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size20 MB
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