________________
Uvavaiya Suttam Sh. 19
on the seat, sitting in utkufuka posture, undergoing month-long fasts, sitting in virāsana. posture, squatting, giving exposure to himself in heat and cold, remaining unclad, not itching the body, never spitting and neglecting body care in all respects (or not decorating or taking care of the body in any way). Such is hardship of the body.
से किं तं पडिसंलीणया ? . .
पडिसलीणया चउम्विहा पण्णत्ता । तं जहा—इंदिअ-पडिसंलीणया कसाय-पडिसलीणया जोग-पडिसंलीणया विवित्त-सयणासणसेवणया।
वह प्रतिसंलीनता क्या है ? . वह कितने प्रकार की है ?
प्रतिसंलीनता चार प्रकार की बतलाई गई हैं, जो इस प्रकार है : (१) इन्द्रिय-प्रतिसंलीनता-इन्द्रियों की चेष्टाओं का निरोध करना, (२) कषाय-प्रतिसंलीनता--क्रोध, मान, माया और लोभ के आवेगों का निरोध करना, (३) योग-प्रतिसंलीनता-मन, वचन और काय की प्रवृत्तियों का निरोध करना, (४) विविक्त-शयनासन-सेवनता-एकान्त स्थान में निवास करना।
What is the restraint called pratisamlinatā ? : __It has four types, viz., restraint of the sense-organs, restraint of passions, restraint of activities and living a solitary
life.
से किं तं इंदिय-पडिसलीणया ?
इंदिय - पडिसलीणया पंचविहा पण्णत्ता। तं जहा- सोइंदिय - विसय-पयार - निरोहो वा सोइंदिय-बिसय-पत्तेसु अत्थेसु