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________________ 1:5 F क्या गुरु के नौ अङ्ग की पूजा शास्त्रीय है ? ( १२८ ) ४. "श्री प्रतिष्ठाविधि समुच्चय, प्रतिष्ठा कल्प" प्रकाशिका - श्री जैन साहित्यवर्धक सभा, शिरपुर । संयोजक - शास्त्रविशारद कविरत्न पू० आचार्य श्रीविजय अमृतसूरीश्वरजी महाराज ( पू० आचार्य श्री मसूरीश्वर जी म० के शिष्य) इस ग्रंथ में लिखा है कि "सिद्धचक्र की पूजा करे, गुरु के नौ अङ्ग की पूजा करे, यथाशक्ति समस्त संघ को पहेरामणी करे " इसके सिवाय नीचे के अन्य ग्रन्थों में भी ऊपर मुजब पाठ है इसी कारणहम उन ग्रन्थो के नाम और पृष्ठ नम्बर ही बताते हैं । पाठ एक समान ौ अङ्गी गुरु पूजन का होने से पाठ पुनः नहीं लिखते हैं । २. श्री शान्तिस्नात्वादि विधि समुच्चय तथा श्री प्रतिष्ठादिविधि समुच्चय प्रतिष्ठा कल्प भाग १ -२ (पृष्ठ ८१ पंक्ति ३ री) संयोजक०आ० श्री अमृतसूरीश्वरजी महाराज । f · 73 P सम्पादक—पू०आ० श्री हेमचन्द्र सूरिजी म० के शिष्य पू० मुनि श्री गुणशील वि०म० श्री कल्याणकालिका - कर्त्ता - पं० श्री कल्याणविजयजी म० पृष्ठ १६६ पंक्ति १२) सम्पादक - मुनिराज श्रीभद्र करविजयजी म. ( द्वितीत तृतीय खण्डात्मक द्वितीय भाग ) प्रकाशक - श्री क०वि० शास्त्रसंग्रह समिति जालोर ( राजस्थान ) श्री बिम्ब प्रवेश विधि संयोजक तथा प्रकाशक - पोपटलाल, साकरचन्द शाह (पृष्ठ १११ पंक्ति १२ ५. प्रतिष्ठा कल्प-संयोजक और प्रकाशक - श्री सोमचन्द, हरगोविन्द - दास छाणी तथा छबीलदास, केशरीचन्द संघवी ( पृष्ठ ४४ - पंक्ति १३ ) एवं खंभात में श्री जैन शाला - स्थापित श्री नीतिविजयजी शास्त्र संग्रह की । 1. ६. हस्तलिखित प्रश्नो प्रतिष्ठा कल्प - पत्र १२ और प्रतिष्ठा
SR No.002228
Book TitleSiddh Hemchandra Vyakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanratnavijay, Vimalratnavijay
PublisherJain Shravika Sangh
Publication Year
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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