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________________ विषयानुक्रम विषय १२७ १२७ १२८ १२८ १२८ विधिसाधक अविरुद्धोपलब्धि के भेद काल के व्यवधान में कार्यकारणसम्बन्ध का निषेध कार्य हेतु का उदाहरण कारण हेतु का उदाहरण पूर्वचर हेतु का उदाहरण उत्तरचर हेतु का उदाहरण सहचर हेतु का उदाहरण प्रतिषेधसाधक विरुद्धोपलब्धि के भेद विरुद्धव्याप्य हेतु का उदाहरण . विरुद्धकार्य हेतु का उदाहरण . विरुद्धकारण हेतु का उदाहरण विरुद्धपूर्वचर हेतु का उदाहरण विरुद्ध उत्तरचर हेतु का उदाहरण विरुद्ध सहचर हेतु का उदाहरण प्रतिषेधसाधक अविरुद्धानुपलब्धि के भेद स्वभावानुपलब्धि का उदाहरण व्यापकानुपलब्धि का उदाहरण कार्यानुपलब्धि का उदाहरण कारणानुपलब्धि का उदाहरण पूर्वचरानुपलब्धि का उदाहरण उत्तरचरानुपलब्धि का उदाहरण सहचरानुपलब्धि का उदाहरण विधिसाधक विरुद्धानुपलब्धि के भेद विरुद्धकार्यानुपलब्धि का उदाहरण विरुद्धकारणानुपलब्धि का उदाहरण विरुद्धस्वभावानुपलब्धि का उदाहरण १३१ ہ ہ ہ س س ب سه .
SR No.002226
Book TitlePrameykamalmarttand Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year1998
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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