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________________ सूत्र १ इह खलु थेरेहिं भगवंतेहि दसचित्त-समाहि-द्वाणा पण्णत्ता । इस आर्हत प्रवचन में स्थविर भगवन्तों ने दंश चित्तसमाधिस्थान कहे हैं । पंचमी चित्तसमाहिद्वाणा दसा पांचवीं चित्तसमाधिस्थान देशा सूत्र २ प्र० – कयरे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं दस चित्तसमाहि-द्वाणा पण्णत्ता ? -- इमे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं दस चित्तसमाहि-द्वाणा पण्णत्ता । 1-02 तं जहा प्रश्न - भगवन् ! वे कौन से दस चित्तसमाधिस्थान स्थविर भगवन्तों ने कहे हैं ? उत्तर- ये दश चित्तसमाधिस्थान स्थविर भगवन्तों ने कहे हैं । जैसे— सूत्र ३ तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नगरे होत्था । एत्थ नगर-वण्णओ भाणियव्वो । उस काल और उस समय में वाणिज्यग्राम नगर था। यहां पर नगर का वर्णन कहना चाहिए । सत्र ४ तस्स णं वाणियगामस्स नगरस्स बहिया उत्तर - पुरच्छिमे दिसीभाए दूति - पलास णामं चेइए होत्था । चेइय-वण्णओ भाणियव्वो । उस वाणिज्यग्राम नगर के बाहिर उत्तर-पूर्व दिग्भाग ( ईशान कोण) में दूतिपलाशक नामका चैत्य था । यहां पर चैत्य वर्णन कहना चाहिए ।
SR No.002225
Book TitleChed Suttani Aayar Dasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherAagam Anyoug Prakashan
Publication Year1977
Total Pages210
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size13 MB
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