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आयारदसा.
२५.
३ बहुविध - अवग्रहणता - अनेक प्रकार के बहुत अर्थों को ग्रहण करना । ४ ध्रुव - अवग्रहणता - निश्चितरूप से अर्थ को ग्रहण करना ।
५ अनिसृत - अवग्रहणता - अनिःसृत अर्थ को प्रतिभा से ग्रहण करना । ६ असंदिग्ध अवग्रहणता - सन्देह - रहित होकर अर्थ को ग्रहण करना ।
सूत्र १०
एवं ईहा - मई वि ।
इस प्रकार हा मतिसम्पदा भी छह प्रकार की होती है ।
सूत्र ११
एवं अवाय - मई वि ।
इसी प्रकार अवय-मतिसम्पदा भी छह प्रकार की होती है ।
सूत्र १२
प्र० - से किं तं धारणा-मइसंपया ?
उ०- - धारणा - मइसंपया छव्विहा पण्णत्ता । तं जहा
१ बहुं धरेइ,
३ पोराणं धरेइ,
५ अणिस्सियं धरे,
से तं धारणा - मइ संपया ।
सेतं मइ संपया । (६)
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२ बहुविहं धरे,
४ दुद्धरं धरेइ,
६ असंदिद्ध धरे ।
प्रश्न- भगवन् ! धारणा-मतिसम्पदा क्या है ?
उत्तर- धारणामतिसम्पदा छह प्रकार की कही गई है । जैसे
१ बहु-धारणता --- बहुत अर्थों को धारण करना ।
२ बहुविध धारणता - अनेक प्रकार के बहुत अर्थों को धारण करना ।
३ पुरातन-धारणता - पुरानी बात को धारण ( स्मरण) करना ।
४ दुर्धर-धारणता - कठिन से कठिन बात को धारण करना ।
५ अनिःसृत-धारणता - अनुक्त अर्थ को निश्चित रूप से प्रतिभा द्वारा
धारण करना ।
६ असंदिग्ध -धारणता- -- ज्ञात अर्थ को सन्देह - रहित होकर धारण करना । यह मृतिसम्पदा है ।